ग्राम समाचार,चांदन,बांका। ज्ञान भवन कड़वा मारन परिसर मेंं आयोजित दो दिवसीय बिहार दलित विकास समिति व दलित मुक्ति मिशन के संयुक्त तत्वावधान में कानूनी शिक्षण-प्रशिक्षण रविवार 6 नवंबर को शांतिपूर्ण ढंग संपन्न की गई। इस अवसर पर दलित मुक्ति मिशन के अध्यक्ष सह निदेशक महेंद्र कुमार रौशन ने बताया कि संस्था का प्रयास है, कि लोगों को कानूनी जानकारी मिले ताकि संबैधानिक अधिकारों का क्रियान्वयन सही रूप से हो सके। जानकारी के अभाव में लोग ठगी के शिकार हो जाते हैं। आगे उन्होंने बताया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 जिसमें गरिमामयी जीवन जीने की बात कही गई है। तथा मौलिक अधिकार, मानवाधिकार तथा अनुसूचित जाति/जन जाति अधिनियम 1989 के अंतर्गत किये गये विभिन्न प्रावधानों के अनुकूल जाति के आधार हो रहे अत्याचार एवं उत्पीड़न पर पूर्णतः रोक है। बावजूद इसके घटित घटनाओं
में कोई खास कमी नहीं दिख रही है। इसका मूल कारण समुदाय, पीड़िता, अपराधी और प्रशासनतंत्र में असंवेदनशीलता। वहीं प्रशिक्षण दे रहे पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ता मोहम्मद नवाब साहब ने बताया कि एफआईआर कैसे लिखा जाना चाहिए, पुलिस के अधिकार, कोर्ट में एफआईआर कब और कैसे की जाती है। अगर किसी की गिरफ्तारी होती है, तो पुलिस के द्वारा गिरफ्तारी के समय तथा गिरफ्तारी के बाद क्या क्या करना है। आदि अन्य कानून का विस्तृत रूप जानकारी दिया। प्रशिक्षण कार्यशाला में चांदन, कटोरिया तथा झाझा प्रखंड से लगभग 65 दलित-आदिवासी युवा एवं महिलाएं शामिल हुए। वहीं बिहार दलित विकास समिति के कार्यक्रम पदाधिकारी सिनाई सुंदर नायक ने बताया कि दुनिया के सबसे बड़ा और लिखित भारतीय संविधान के प्रस्तावना को जन जन को जानने की जरूरत है। जानकारी के अभाव में अधिकार तक लोगों को पहुंच कम होता है। प्रस्तावना में समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष, प्रभुत्व सम्पन्न, एकता अखंडता की बात कही गई है। अगर इसका परिभाषा को अच्छे तरह लोग समझ जाय तो विकास और न्याय की ओर अग्रसर हो सकते हैं। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्त्ता, सुनीता देवी, रानी शर्मा, युवा नेता मुकेश कुमार, बैधनाथ दास, लालमोहन दास, रमेश दास, महालाल बेसरा, रामजी ठाकुर, बालो पुझार आदि मौजूद थे।
उमाकांत साह,ग्राम समाचार संवाददाता,चांदन।
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