ग्राम समाचार, भागलपुर। खानकाह पीर दमड़िया के 15वें मौजूदा सज्जादानशीं सैयद शाह फकरे आलम हसन रविवार को बताया कि आजादी के जंग में खानकाह- ए-पीर शाह दमड़िया के बुजुर्गों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है और इसके लिए त्याग और बलिदान भी दिया है। इस खानदान के एक मशहूर बुजुर्ग और सज्जादानशीं हजरत अशदउल्लाह शाह ने एक अंग्रेज कलेक्टर को कोड़े से मारने का काम किया था। जिसके बाद ब्रिटिश गवर्नमेंट के अधिकारियों ने शूट एंड साइट का ऑर्डर खानकाह के बुजुर्गों के लिए जारी किया था। इसके साथ ही अंग्रेजों ने न केवल खानकाह की हजारों बीघा जमीन नीलाम करवा दी बल्कि इस पर खुद भी कब्जा कर लिया। खानकाह पीर दमड़िया तकरीबन 400 सालों से भागलपुर में क्वेमवाडैम चली आ रही है। आज भी खनकाह पीर दमड़िया से देश व समाज हित के लिए कार्य किए जाते हैं तथा सद्भावना-प्रेम और मानवता के लिए आज भी यहां आवाज लगाई जाती है। इस खानकाह से जरूरतमंद लोगों के बीच उनका हर संभव सहयोग व मदद का काम किया जाता है। इस खानकाह के 15वें मौजूदा सज्जादानशीं सैयद शाह फकरे आलम हसन अपने पूर्वजों के तौर-तरीकों को जिंदा रखकर खानकाह की पुरानी रिवायत को निभाते हुए उसे बरकरार रखे हुए हैं। इसी क्रम में रविवार को सद्भावना समिति द्वारा तिरंगा यात्रा के अनेकता में एकता के उद्देश्य से स्वयं सज्जादानशीं इस यात्रा में न केवल शामिल हुए बल्कि यात्रा में शामिल जत्थों की सेवा में समर्पित रहे। इस दौरान खानकाह की ओर से हजारों लोगों के बीच पानी और बिस्कुट का वितरण किया गया और इस यात्रा में शामिल लोगों का उन्होंने खुले दिल से अभिनंदन भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वतन परस्ती और राष्ट्रीयता धर्म और मजहब का अंग है। लोगों को चाहिए कि राष्ट्र की सेवा में जात-पात ऊंच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर सदैव नेकी का कार्य करते रहें।
Bhagalpur News:धर्म और मजहब का अंग है राष्ट्रीयता और वतन परस्ती – सैयद हसन
ग्राम समाचार, भागलपुर। खानकाह पीर दमड़िया के 15वें मौजूदा सज्जादानशीं सैयद शाह फकरे आलम हसन रविवार को बताया कि आजादी के जंग में खानकाह- ए-पीर शाह दमड़िया के बुजुर्गों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है और इसके लिए त्याग और बलिदान भी दिया है। इस खानदान के एक मशहूर बुजुर्ग और सज्जादानशीं हजरत अशदउल्लाह शाह ने एक अंग्रेज कलेक्टर को कोड़े से मारने का काम किया था। जिसके बाद ब्रिटिश गवर्नमेंट के अधिकारियों ने शूट एंड साइट का ऑर्डर खानकाह के बुजुर्गों के लिए जारी किया था। इसके साथ ही अंग्रेजों ने न केवल खानकाह की हजारों बीघा जमीन नीलाम करवा दी बल्कि इस पर खुद भी कब्जा कर लिया। खानकाह पीर दमड़िया तकरीबन 400 सालों से भागलपुर में क्वेमवाडैम चली आ रही है। आज भी खनकाह पीर दमड़िया से देश व समाज हित के लिए कार्य किए जाते हैं तथा सद्भावना-प्रेम और मानवता के लिए आज भी यहां आवाज लगाई जाती है। इस खानकाह से जरूरतमंद लोगों के बीच उनका हर संभव सहयोग व मदद का काम किया जाता है। इस खानकाह के 15वें मौजूदा सज्जादानशीं सैयद शाह फकरे आलम हसन अपने पूर्वजों के तौर-तरीकों को जिंदा रखकर खानकाह की पुरानी रिवायत को निभाते हुए उसे बरकरार रखे हुए हैं। इसी क्रम में रविवार को सद्भावना समिति द्वारा तिरंगा यात्रा के अनेकता में एकता के उद्देश्य से स्वयं सज्जादानशीं इस यात्रा में न केवल शामिल हुए बल्कि यात्रा में शामिल जत्थों की सेवा में समर्पित रहे। इस दौरान खानकाह की ओर से हजारों लोगों के बीच पानी और बिस्कुट का वितरण किया गया और इस यात्रा में शामिल लोगों का उन्होंने खुले दिल से अभिनंदन भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि वतन परस्ती और राष्ट्रीयता धर्म और मजहब का अंग है। लोगों को चाहिए कि राष्ट्र की सेवा में जात-पात ऊंच-नीच के भेदभाव से ऊपर उठकर सदैव नेकी का कार्य करते रहें।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें