Bhagalpur news:व्यक्तिगत लाभ और निजी स्वार्थ पूर्ति का अत्याधुनिक स्थान बना हुआ है चैंबर – लालू


ग्राम समाचार, भागलपुर। सामाजिक कार्यकर्ता लालू शर्मा ने शनिवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि चेंबर ऑफ कॉमर्स की 40 सदस्यीय टीम में आधे से ज्यादा सदस्य बिना चुनाव लड़े कमेटी में सम्मानित पदों पर विराजित हो गए हैं। जो शिक्षित, सभ्य और शालीन लोग चुनाव के लिए खड़े हुए थे और चुनाव हारे। परंतु उन्हें 420, 418 और 405 वोट मिला। हारे हुए लोगों को एवं समझदार सभ्य शिक्षित चेंबर सदस्यों को मैं कहता हूं कि ईस्टर्न बिहार चेंबर ऑफ कॉमर्स संगठन वर्तमान के परिदृश्य में उनके अंदरूनी खेल केवल गंदी मानसिकता, व्यक्तिगत लाभ और निजी स्वार्थ पूर्ति करने का अत्याधुनिक स्थान बना हुआ दिखता और लगता है। भ्रष्ट अधिकारियों की चमचागिरी, कुछ आर्थिक अपराधियों की, कुछ संकेतिक अपराधियों की मंडीवाली और धन का खेल बहुत ज्यादा मात्रा में इनके अंदर लगातार कुछ वर्षों से खेला जा रहा है। ऐसे आरोप पूर्व से बराबर लगते आ रहे हैं। यह निश्चित ही चिंता का विषय है। ऐसे आरोपों पर अब विराम लगना ही चाहिए। इनके पास सेवानिवृत्त बैंक मैनेजर, सीनियर वरिष्ठ पत्रकार, सेवानिवृत्त प्रो वीसी जैसे सम्मानित लोग भी इनकी कूटनीति के शिकार हो जाते हैं। ये लोग चेंबर का चुनाव लड़ने के लिए दर-दर भटकने लगते हैं। इनकी प्रतिष्ठा से खिलवाड़ कर सभी श्रेष्ठ जनों को उनके घर पर वापस बिठा दिया जाता है। यहां जात- पात और धन के समीकरण का बड़ा खेल है। भागलपुर के लगभग तमाम समाजिक पैसे वाले संगठनों में जिनकी समाज के नाम पर करोड़ों अरबों की संपत्ति हो चुकी है। वैसे संगठन ज्यादा खेल खेलने में माहिर है। चेंबर के ढाक के पात को बजाते यह लोग कभी नहीं सुधर सकते। इसमें कोई भी शंका और बेहतर कार्य धरातल पर होने की गुंजाइश नहीं बची है। यह ढलते सूर्य को मानने वाले लोग हैं और उगते सूर्य की चमचागिरी करने वाली व्यवस्था है। यह चंद जमाती लोग भागलपुर के छिन्न भिन्न होते मजबूत संगठन, मजबूत सामाजिकता, मजबूत एकता और मजबूत सभ्यता के लुटेरे मात्र हैं। इनका प्रभाव इतना है कि वरिष्ठ, विद्वान, प्रोफेसर, लेखक पत्रकार, साहित्यकार, शिक्षित और युवा सभी इनकी बातों में फंस कर इनके दरवाजे के चक्कर लगाते हैं। अंत में हारे हुए व्यवस्था से हारे हुए व्यक्ति का तगमा प्राप्त कर अपने घाव को खुद ही जानवर की तर्ज पर चाट-चाट कर ठीक करने को विवश हो जाते हैं। कमेटी बनने के बाद भी ऐसे लोगों के जख्मों पर मलहम लगाने का काम जीते हुए सिकंदर नहीं करते हैं। क्योंकि वह धन व्यवस्था आगामी 3 साल के बाद पुनः चुनाव जीतने की योजना और फिर से चुनाव जीतकर कैसे दूसरे लोगों की हार हो ऐसी व्यवस्था के खेल का खेल करने में व्यस्त हो जाते हैं। 

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Editor - Bijay shankar

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