ग्राम समाचार न्यूज : रेवाड़ी : राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट कस्बे में एक नर्सिंग होम में एक महिला चिकित्सक द्वारा आत्महत्या करने के मामले की इंडियन मेडिकल एसोसिएशन रेवाड़ी ने घोर निंदा की है रेवाड़ी के हुड्डा जिमखाना क्लब में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आईएमए ने राजस्थान द्वारा आहत हड़ताल का पूर्ण समर्थन करती है.
एक दिन पूर्व भी आनंद अस्पताल लालसोट में एक महिला मरीज की डिलीवरी के बाद अत्यधिक रक्तस्राव होने के कारण मृत्यु हो गई थी और कुछ असामाजिक तत्वों की शह पर महिला के परिजनों ने घर ले जाने के बाद डेड बॉडी को वापस लाकर अस्पताल के सामने धरना प्रदर्शन किया और पुलिस प्रशासन ने भी सुप्रीम कोर्ट की स्पष्ट आदेशों की अवमानना करते हुए महिला चिकित्सक पर हत्या का मुकदमा दर्ज कर दिया. मृतक महिला के पति डॉ सुमित उपाध्याय के अनुसार पूर्व में भी एक तथाकथित स्थानीय नेता बलिया जोशी के विरुद्ध उन्होंने अस्पताल में अशांति फैलाने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया था परंतु कोई कार्रवाई नहीं हुई और आज उसी स्वयंभू नेता की शह पर धरना प्रदर्शन के पश्चात महिला डॉक्टर पर हत्या का झूठा केस दर्ज किया गया. प्रशासन के इस गैरकानूनी और असंवेदनशील रवैये के परिणाम स्वरूप एक लोकप्रिय बेहद काबिल एवं युवा डॉ अर्चना शर्मा को हताशा में आत्महत्या जैसा कदम उठाने को मजबूर होना पड़ा. यहां यह बताना प्रासंगिक है कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2005 में ही जैकब मैथ्यू केस में यह स्पष्ट आदेश पारित किए थे कि किसी भी चिकित्सक के विरुद्ध बिना जांच पड़ताल किए लापरवाही का कोई भी मुकदमा दर्ज ना किया जाए परंतु पुलिस प्रशासन अक्सर भीड़ के दबाव में आकर डॉक्टर के विरुद्ध केस दर्ज कर देती है जो कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की सरासर अवहेलना होने के साथ-साथ एक चिकित्सक के संवैधानिक अधिकारों का हनन है मानसिक प्रताड़ना भी है इसलिए हम सरकार से मांग करते हैं कि जिन पुलिस अफसरों ने माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के विरुद्ध जाकर चिकित्सकों पर हत्या का मुकदमा दायर किया है जिससे एक होनहार चिकित्सक को आत्महत्या के लिए मजबूर होना पड़ा. ऐसे लोगों पर उचित कर्रवाई की जाए और भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए पुलिस प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए जाए कि किसी भी डॉक्टर के विरुद्ध जब तक समुचित जांच ना हो मुकदमा दर्ज ना किया जाए. इसी के साथ हम यह भी मांग करते हैं कि अस्पताल में अराजक तत्वों द्वारा होने वाली हिंसक घटनाओं को रोकने के लिए शीघ्र अति शीघ्र केंद्रीय कानून लाया जाए.
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