ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट- कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में ग्रामीण युवक-युवतियों का पांच दिवसीय दीर्घावधि प्रशिक्षण आयोजित की जा रही है। प्रशिक्षण का विषय सूकर पालन की विकसित प्रणाली है| सभी प्रशिक्षणार्थियों को कोरोना अधिनियम का पालन करते हुए सामाजिक दूरी पर बैठाया गया| पशु पालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने बताया कि समस्त पालतू पशुओं में साधारण आहार को मांस के रूप में बदलने की अत्याधिक क्षमता केवल सूकर में होती है| सूकर कम समय में अत्याधिक बच्चों को जन्म देने और अधिक शारीरिक बढ़ोत्तरी करने वाला एक मात्र जानवर है।स्थानीय वातावरण में पालने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची से विकसित की गई सूकर की नस्ल झारसुक काफी प्रसिद्ध है। झारसुक नस्ल के सूकर काले रंग के होते हैं और शरीर से काफी सुडौल होते हैं। झारसुक नस्ल के सूकरों से पूरा फायदा उठाने के लिए उसके खान- पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। संतुलित दाना मिश्रण बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के अनाजों के अवशेषों, खल्लियों की निश्चित मात्रा लिया जाता है, इसमें समुचित मात्रा में खनिज लवण मिश्रण एवं विटामिन मिलाया जाता है। प्रत्येक श्रेणी के झारसुक सूकरों के लिए अलग- अलग पोषकता के दाने का मिश्रण बनाया जाता है।दो माह तक के बच्चों को क्रीप मिश्रण दाना दिया जाता है, जिसमें 20 प्रतिशत प्रोटीन रहता है।10 से 15 किलो वजन के सूकर को स्टार्टर तथा 15 से 50 किलो वजन के सूकर को ग्रोवर दाना दिया जाता है, जिसमें प्रोटीन की मात्रा क्रमशः 18 प्रतिशत तथा 16 प्रतिशत रहता है| फिनिशर दाना 50 किलो से अधिक वजन वाले सूकरों को दिया जाता है, जिसमें 14 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आदिवासी क्षेत्र में किसान काले रंग के सूकर का मांस अधिक पसंद करते हैं, फलस्वरूप झारसुक नस्ल के सूकर का मांस अच्छे दाम पर बिकता है।मंजू सोरेन, बासोनी मुर्मू, मार्सिला हांसदा, किशोर किस्कू, सनत सोरेन, सोमलाल बेसरा आदि प्रगतिशील महिला-पुरूष किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
Godda News: साधारण आहार को मांस में बदलने की क्षमता केवल शुकर को होती है
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट- कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सभागार में ग्रामीण युवक-युवतियों का पांच दिवसीय दीर्घावधि प्रशिक्षण आयोजित की जा रही है। प्रशिक्षण का विषय सूकर पालन की विकसित प्रणाली है| सभी प्रशिक्षणार्थियों को कोरोना अधिनियम का पालन करते हुए सामाजिक दूरी पर बैठाया गया| पशु पालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने बताया कि समस्त पालतू पशुओं में साधारण आहार को मांस के रूप में बदलने की अत्याधिक क्षमता केवल सूकर में होती है| सूकर कम समय में अत्याधिक बच्चों को जन्म देने और अधिक शारीरिक बढ़ोत्तरी करने वाला एक मात्र जानवर है।स्थानीय वातावरण में पालने के लिए बिरसा कृषि विश्वविद्यालय, रांची से विकसित की गई सूकर की नस्ल झारसुक काफी प्रसिद्ध है। झारसुक नस्ल के सूकर काले रंग के होते हैं और शरीर से काफी सुडौल होते हैं। झारसुक नस्ल के सूकरों से पूरा फायदा उठाने के लिए उसके खान- पान पर विशेष ध्यान देना चाहिए। संतुलित दाना मिश्रण बनाने के लिए विभिन्न प्रकार के अनाजों के अवशेषों, खल्लियों की निश्चित मात्रा लिया जाता है, इसमें समुचित मात्रा में खनिज लवण मिश्रण एवं विटामिन मिलाया जाता है। प्रत्येक श्रेणी के झारसुक सूकरों के लिए अलग- अलग पोषकता के दाने का मिश्रण बनाया जाता है।दो माह तक के बच्चों को क्रीप मिश्रण दाना दिया जाता है, जिसमें 20 प्रतिशत प्रोटीन रहता है।10 से 15 किलो वजन के सूकर को स्टार्टर तथा 15 से 50 किलो वजन के सूकर को ग्रोवर दाना दिया जाता है, जिसमें प्रोटीन की मात्रा क्रमशः 18 प्रतिशत तथा 16 प्रतिशत रहता है| फिनिशर दाना 50 किलो से अधिक वजन वाले सूकरों को दिया जाता है, जिसमें 14 प्रतिशत प्रोटीन होता है। आदिवासी क्षेत्र में किसान काले रंग के सूकर का मांस अधिक पसंद करते हैं, फलस्वरूप झारसुक नस्ल के सूकर का मांस अच्छे दाम पर बिकता है।मंजू सोरेन, बासोनी मुर्मू, मार्सिला हांसदा, किशोर किस्कू, सनत सोरेन, सोमलाल बेसरा आदि प्रगतिशील महिला-पुरूष किसान प्रशिक्षण में सम्मिलित हुए।
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