संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली की सीमाओं पर एक साल से चल रहा किसान आंदोलन अब समाप्त हो गया है। किसान आंदोलन स्थगित होते ही अब सभी मोर्चे और बॉर्डर खाली होने शुरू हो गए है। दिल्ली-जयपुर हाइवे संख्या-48 पर स्थित खेड़ा शाजहांपुर बॉर्डर पर भी किसानो ने अपना सामान समेटना शुरू कर दिया है और 15 दिसंबर तक सभी बॉर्डर किसानो की ओर से बिलकुल खाली कर दिए जायेंगे। किसानो की घर वापसी के साथ ही पुलिस द्वारा की गई बैरिकेडिंग को भी अब हटाने का काम शुरू हो गया है। शुक्रवार को खेड़ा बॉर्डर पर किसानो की ओर से एक सभा का आयोजन किया गया जिसमे किसान नेता योगेंद्र यादव समेत अनेक संगठन से जुड़े लोग पहुंचे और एक दूसरे को फूल माला पहनाकर विक्ट्री साइन बनाकर जीत की बधाई दी। किसान नेताओ ने इसे लम्बे संघर्ष की जीत बताते हुए कहा कि किसान आंदोलन ने तानाशाही सरकार को झुकाने का काम किया है। तीनो कृषि कानूनों को सरकार की ओर से वापस ले लिया गया है लेकिन अन्य मांगो पर सहमति बनने के साथ वे पूरी होनी चाहिए। एसकेएम द्वारा आंदोलन स्थगित करने की घोषणा के साथ ही 13 दिसंबर से हरियाणा-राजस्थान की सीमा पर स्थित जयसिंह पुर खेड़ा बॉर्डर आंदोलनरत किसानो ने भी अपना आंदोलन स्थगित कर घर वापसी की तैयारी शुरू कर दी है।
किसानो द्वारा गुरुवार शाम से ही अपना बोरिया बिस्तर समेटना शुरू कर दिया है। किसानो द्वारा एक साल से जयपुर से दिल्ली की ओर जाने वाले मार्ग को अवरुद्ध किया गया था। जिससे यहाँ से गुजरने वाले वाहन चालकों को कई किलोमीटर का रास्ता तय कर 4-5 घंटे लगाकर अपने गंतव्य तक जाना पड़ता था लेकिन अब रास्ता खुलने से लोगो को राहत मिलेगी। इस अवसर पर किसान नेता योगेंद्र यादव, अमराराम, राजाराम, रामकिशन महलवात, समय सिंह, कॉमरेड राजेंद्र सिंह समेत बड़ी संख्या में किसान संगठन से जुड़े लोग मौजूद रहे।
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