ग्राम समाचार, जामताड़ा:अक्षय नवमी के उपलक्ष पर जिले के शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्र में आंवला पेड़ की पूजा-अर्चना की गई। महिलाओं ने कथा सुनकर आंवला का महत्व बताया। परिक्रमा कर पेड़ को कच्चा सूत बांधा, कार्यक्रम के समापन पर महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे भोजन भी ग्रहण किया।
शनिवार को आंवला नवमी पर घरों में धार्मिक कार्यक्रम हुए। महिलाओं ने आंवला के पेड़ की टहनी को आंगन में सजाकर पूजा की और आंवला का महत्व बताया। सूत भी बांधा गया। महिलाओं ने आरती उतारकर आंवला के गुणों का बखान किया। जामताड़ा शहर स्थित हनुमान मंदिर चंचला मंदिर दुमका रोड स्थित मंदिर समेत कई मंदिर परिसर में स्थित आंवला पेड़ के समीप सुबह से महिलाओं का पहुंचना शुरू हो गया। महिलाओं ने पेड़ों की परिक्रमा कर आरती उतारी और उसके नीचे बैठकर भोजन भी ग्रहण किया।
--- आंवला नवमी को अक्षय नवमी भी कहा जाता है। आसपास आंवला का पेड़ नहीं होने पर इसकी डाल मंगाई गई। शहर और कस्बों में महिला श्रद्धालु ने विधिविधान से पूजा-अर्चना की गई। मंदिर व आवासीय परिसर में
दोपहर तक पूजा करने क्रम बना रहा। परिवार के साथ आई महिलाओं ने पेड़ की पूजा कर अक्षय कामना को आशीर्वाद मांगा। इसके बाद कई महिलाएं बच्चों के साथ पेड़ के नीचे बैठकर भोजन भी ग्रहण किया। महिलाओं ने आंवला वृक्ष का पूजन अर्चन कर 108 वार परिक्रमा करते हुए दान किया, मनोकामना पूर्ण होने की कामना की। इस अवसर पर पंडित जय मंगल पांडे ने बताया कि अक्षय नवमी का शास्त्रों में वही महत्व बताया गया है, जो वैशाख मास की तृतीया का है। शास्त्रों के अनुसार अक्षय नवमी के दिन किया गया पुण्य का कार्य कभी समाप्त नहीं होता है। इस दिन शुभ कार्य जैसे दान, पूजा, भक्ति, सेवा की जाती है। उसका पुण्य कई-कई जन्म तक प्राप्त होता है।
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