ग्राम समाचार,चांदन,बांका। प्रखंड क्षेत्र में हर वर्ष की तरह भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत पर्व मनाई जाती है। धार्मिक ग्रंथों के मानें तो अनंत अर्थ जिसका न आदि होते और न ही अंत, अर्थात वे स्वयं श्री हरि विष्णु स्वरूप माने जाते हैं। इस व्रत में सुहागिन महिलाएं के साथ-साथ कुमारी कन्याएं स्नान आदि करने के बाद अपने अपने घर में पुरोहित को बुलाकर अनंत चतुर्थी व्रत कथा सुना करते हैं जहां अक्षत, दूर्वा, शुद्ध रेशम या कपास के जिसमें 14 गांठ से बनी सूत का अनंत डोरा को सामने रखकर हवन किया जाता है। फिर वही अनंत डोरा को दूध का पंचामृत गंगाजल के पात्र में खीरा में लपेटकर 14 बार मंत्रोच्चार करते हुए अनंत देव का ध्यान कर पुजन करतीं हैं। और वही शुद्ध अनंत डोरा को, पुरुष दाहिनी और स्त्री बायीं भुजा या हाथ में बांधते हैं। धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि, इस दिन शेषनाग कि सैय्या पर शयन में लीन भगवान विष्णु की पूजा अनंत नाम से होती है। पुरानी कथाओं के अनुसार 14 लोकों में
अदृश्य सभी कालों में वर्तमान रहने वाले नारायण जब देवयानी एकादशी के दिन राजा बलि की लोक में चले जाते हैं तो भक्तगण उन्हें तलाशते और उनका अनंत नाम से पूजा करते हुए 14 गांठ वाला अनंत सुत अपने बाजू में बांधते हैं। और उन्हीं के नाम पर अनंत चतुर्दशी का नाम रखा गया है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अवश्य करनी चाहिए, इससे भगवान जल्दी प्रसन्न होते हैं। जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। जो श्रद्धालु सच्चे मन से अनंत चतुर्थी का पूजन करते हैं उनके सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है।जिसमें चांदन बाजार के समीप पडित रामाकान्त झा अपने घरों सहित अन्य स्थलों पर आदि शक्ति अनंत भगवान श्री हरि विष्णु के साथ-साथ अनंत सूत्र की पूजा एवं कथा श्रवण किया। जहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रही।वहीं भैरोगंज बाजार स्थित के शिवालय में दर्जनों श्रद्धालुओं के बीच पुरोहित कौशल पांडेय ने अनंत चतुर्थी की कथा सुनाया। और दुध गंगा जल से बने पंचामृत खीरा से लपेटे अनंत सुत को समुद्र मंथन कराया। जहां जहां श्रद्धालुओं ने भक्ति भाव से कथा सुनकर अनंत चतुर्थी व्रत संपन्न किया जहां पूजा को लेकर चारों ओर विभिन्न जगहों पर भक्तिमय माहौल रहा।

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