कृषि प्रसार वैज्ञानिक डाॅ0 रितेश दुबे ने किसानों को बताया कि वर्षा जल का संग्रह करने से कई प्रकार से लाभ मिल सकता है। तालाब, डोभा तथा खेतों में टीसीबी(ट्रेंच कम बेड) विधि से छोटे-छोटे गड्डे बनाकर बरसात के पानी का संग्रह किया जा सकता है जो फसलों की सिंचाई तथा पशुओं के पीने के काम आयेगा। बारिश होने से भूमि का जल स्तर भी बढ़ता है। तालाब एवं डोभा में मछली पालन करने से भी किसानों की आमदनी भी दुगुनी हो सकती है। सिंचाई की प्रमुख विधियों जैसे- टपक सिंचाई, फव्वारा सिंचाई, बौछारी सिंचाई आदि को अपनाने से भी पानी की बचत होती है। इन विधियों का उपयोग बागवानी, सब्जियों की खेती में करने से अधिक उपज प्राप्त होती है। मौके पर मीरू बेसरा, बिटीमय सोरेन, मंझली मरांडी, अंजुली मरांडी, निशा मरांडी, तेरेशा मरांडी, सरोजिनी मुर्मू, बड़कू मरांडी, लालजी मरांडी, सोनालाल मड़ैया, रोबिन मुर्मू, देवलाल मरांडी, अजीत मरांडी, शंकर मुर्मू, तालु हेम्ब्रम, डेयमय बास्की, सुभाष मैथा, बिटू सोरेन समेत 30 महिला-पुरूष प्रगतिशील किसान कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
Godda News: जल शक्ति अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र, गोड्डा के सौजन्य से गोड्डा प्रखंड के बेलडीहा ग्राम में जल शक्ति अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया। जल शक्ति अभियान कार्यक्रम केंद्र सरकार द्वारा निर्देशित कार्यक्रम है। जल शक्ति अभियान मनाने का उद्देश्य किसानों को वर्षा जल का संग्रह, पानी की बचत करना तथा पानी के सदुपयोग करने के लिए जागरूक करना है। जिले में इस बार अच्छी बारिश होने की वजह से प्रगतिशील किसानों के पास वर्षा जल संग्रह करने का बढ़िया मौका है।
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