ग्राम समाचार,बौंसी,बांका।
पंचायती राज का सही स्वरूप आजादी के बाद ही सामने आया। यूं तो पंचायती राज की परिकल्पना और ग्रामीण विकास की अवधारणा आज की बात नहीं बल्कि वैदिक काल से भी पुरानी है। पहले समाज के प्रबुद्ध और योग्य व्यक्ति को समाज का मुखिया
माना जाता था। परंतु आज वैसा नहीं रह गया। आज योग्य व्यक्ति का कोई अस्तित्व ही नहीं रह गया। कांग्रेस के जिला महासचिव सह वरिष्ठ समाजसेवी मदन मेहरा की माने तो, हमारे देश की नैतिकता अजीब मोड़ पर है। जहां ना जनतंत्र है और ना आधुनिक समाज की व्यवस्था।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।

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