ग्राम समाचार,बौंसी,बांका।
हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक है रक्षाबंधन। इस दिन बहनें अपने भाई को रक्षासूत्र बांधकर उनसे अपनी रक्षा का वचन लेती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने युद्धिष्ठिर से अपनी सेना को रक्षासूत्र बांधने को कहा था। इससे उनकी रक्षा हुई। इसी मान्यता के आधार पर हर साल रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। देश के अलग-अलग प्रांतों में ये विभिन्न नामों से जाना जाता है। कहीं इसे नारियल पूर्णिमा कहते हैं तो कहीं इसे अबित्तम के
नाम से जाना जाता है। इस खास मौके पर हम आपको बताएंगे कि देश के दूसरे हिस्सों में इस पर्व और किन नामों से जाना जाता है। भारत के पश्चिमी भाग में रक्षाबंधन को नारियल पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। समुद्री क्षेत्रों में रहने वाले लोग इस दिन इंद्र और वरुण देव की पूजा करते हैं। मछुआरे भी मछली पकड़ने की शुरुआत इसी दिन से करते हैं। इस दिन समुद्र में नारियल फेंके जाते हैं जिससे वह लोगों की रक्षा करें। दक्षिण भारत में रक्षाबंधन को अबित्तम के नाम से जानते है। इस दिन जनेऊ को बदला जाता है। इसे श्रावणी या ऋषि तर्पण भी कहते हैं। ग्रंथों के अनुसार रक्षाबंधन के दिन जनेऊ बदलने से उनकी रक्षा होगी। साथ ही ये पापों का नाश करेगा और खराब कर्मों से मुक्ति दिलाएगा। उत्तर भारत में रक्षाबंधन को कजरी पूर्णिमा के नाम से जानते हैं। इस दिन खेत में गेहूं और अन्य अनाज बिछाया जाता है। किसान माता दुर्गा से अच्छी फसल की कामना
करते हैं। गुजरात में रक्षाबंधन को पवित्रोपन्ना भी कहा जाता है। इस दिन लोग रुई को पंचगव्य में भिगोकर शिवलिंग के चारों ओर बांध देते हैं। हालांकि वहां भी बहनें भाई को राखी बांधती हैं। अंचल क्षेत्रों में रक्षाबंधन का दिन फसलों को समर्पित होता है। इस दिन लोग भगवान को अनाज अर्पण करते हैं और ईश्वर से उनकी रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं। इसी कड़ी में प्रखंड में रविवार को धूमधाम से रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया गया। बहनों ने अपने भाई की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधकर भाई के लंबी उम्र की कामना की। साथ ही बहन ने राखी बांधने के साथ-साथ मिठाई खिला कर अपने भाई का मुंह मीठा कराया। रक्षाबंधन त्यौहार को लेकर बाजारों में भी रौनक बनी रही। वही पूरे प्रखंड क्षेत्र में रक्षाबंधन को लेकर उत्साह का माहौल रहा।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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