ग्राम समाचार,बौंसी,बांका।
भारतीय संस्कृति में अनादिकाल से आध्यात्मिक भावना और चिंतन का स्वर मुखर होता रहा है। यहां का जनमानस प्रकृति के तमाम जड़-चेतन पदार्थों में दिव्यशक्ति का अनुभव करता है। यही कारण है कि विभिन्न पेड़-पौधे से लेकर नदी-पर्वत और जीव-जंतुओं में परम असीम सत्ता की शक्ति आरोपित है। इनकी मूल भावना लोक मंगल की है और है संपूर्ण सृष्टि को सुंदरतम बनाने की उत्कृष्ट अभिलाषा। हमारे यहां ऐसी अनेक मिथकीय कहानियां हैं जो जन कल्याण की भावना को केंद्र में रखते हुए रची गई है। कई ऐसे लोक देवता
हैं। जो जन कल्याण हेतु समर्पित होने के कारण आज भी पूजित हैं।नागपंचमी वर्तमान महीने का मुख्य पर्व है। इस अवसर पर नाग पूजा के निमित्त नाना प्रकार के अनुष्ठान किए जाते हैं। कई जगहों पर मेला लगता है जहां भगत लोग कई आश्चर्यजनक कारनामें दिखाते हैं। पुराणों में नाग को देवता माना गया है। विष्णु भगवान की शैया के रूप में शेष नाग का उल्लेख है तो शेष नाग के पफण पर पृथ्वी के टिके होने की मिथकीय कथा भी है। भगवान कृष्ण द्वारा उनके बचपन में यमुना नदी में निवास कर रहे नाग को नाथने की कथा तो सर्वविदित है ही। कहते हैं कि कृष्ण ने उस नाग को कुश से नाथा था।कहते हैं कि इसी वजह से कुश में आज भी विष का कुछ अंश मौजूद है जो उसकी जड़ों को पैर में चुभने से महसूस होता है। ग्रामीण अंचलों में नाग पूजा में कुश का उपयोग आज भी किया जाता है। यह नागपूजा नाग को वश में करने का एक अनुष्ठान है। मनसा पूजा के नाम से संपूर्ण भारत में यह प्रचलित है। इसी मनसा पूजा से जुड़ी
कथा जिसे बिहुला-विषहरी कथा के नाम से भी जाना जाता है। सती बिहुला ने सर्पदंश से मृत अपने पति बाला लखन्दर को कैसे पुनर्जीवित कराया। यह कथा इसी मिथकीय घटना पर आधरित है। इसी कड़ी में प्रत्येक वर्ष 17 अगस्त को मनायेजानेवाले इस पूजन को लेकर बौंसी के दलिया गांव सहित प्रखंड के सभी विषहरी मंदिर में बिहुला विषहरी की पूजा का आयोजन किया गया। सुबह से श्रद्धालुओं का तांता मंदिर में लगा रहा। इस दौरान श्रद्धालुओं ने मंदिर में स्थापित प्रतिमा का पूजा अर्चना किया। वहीं रात में बिहुला विषहरी के विवाह का आयोजन के साथ-सथ बारात का भी आगमन होगा। इस दौरान मंदिर में ढोल नगाड़ों की आवाज से पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा है। दलिया स्थित विषहरी मंदिर में विषहरी पूजा को लेकर विशेष आयोजन किया गया है। मंदिर में श्रद्धालुओं के द्वारा हिंदी में भजन कीर्तन किया जा रहा है।विषहरी पूजा के दिन पूर्व से ही कई तैयारियां की जा रही है। वहीं मंगलवार को विशेष पूजा में कई श्रद्धालु शामिल हुए।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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