आरजू किताबों की - श्रृंखला :: 6 (कुल्हड़ भर इश्क : काशीश्क)

 पुस्तक - कुल्हड़ भर इश्क : काशीश्क 

 लेखक - कोशलेन्द्र मिश्र



ये किताब आपको अपने कॉलेज के दिनों की सैर करवा कर ले आएगी. किताब की खास बात ये है कि इसमें कॉलेज की मस्ती, दोस्ती, प्यार आदि का सुंदर मिश्रण है.

इसमें हॉस्टल लाइफ, लड़कियों के पीछे भागते लड़के, लड़कों की आपसी नोक-झोंक पर कलम चलाई गई है.

कहानी के हर पन्ने को पढ़ते हुए नए पन्ने की कहानी का इंतजार रहता है.  कहानी में रोली का साहसी और निडर पात्र ने मुझे प्रभावित किया.

'कुल्लड़ भर इश्क :   काशीश्क' ,प्यार की शीशी पर मार्कर से गोला करके खुराक बताने वाला है जिससे यह पता चलता रहे कि कितना इश्क जीना है और कितनी पढ़ाई करनी है. कुल्लड़-सा सोंधापन है काशी के इश्क में, कुल्लड़ भर कहने से आशय इश्क को संकुचित करने से नहीं बल्कि नियमित और संतुलित मात्रा में सेवन से है.

इस किताब ने जीवन में मेरे बैचलर जिंदगी को, जो मैंने जिया (लेकिन सुबोध और रोली की तरह नहीं हालांकि इस सुबोध की भी एक रोली हुआ करती थी), बहुत हद तक मेरे अंदर पुनर्जीवित करने के लिए धन्यवाद.

लेखक ने महज बाइस वर्ष की उम्र में इस किताब को लिखा है. इनका लेखन महज एक संयोग नहीं, वरन इनके परिवार की तीन पीढ़ियों की भाषा-साधना के नो बॉल से मिली फ्री हिट है.

                                          - रीतेश रंजन

 कुल्हड़ भर इश्क : काशीश्क  Kulhad Bhar Ishq: Kashishq (Hindi Edition) पुस्तक को नीचे लिंक पर क्लिक कर Online  मांगवाया जा सकता है - 



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