पुस्तक - रेत की मछली
लेखिका - कान्ता भारती
धर्मवीर भारती की पहली पत्नी कांता भारती 'गुनाहों का देवता' की सुधा मानी जाती है. उनसे अलग होने के बाद कान्ता भारती ने 'रेत की मछली' उपन्यास लिखा. इन दोनों के रिश्तो में प्यार से तकरार का एहसास इसे पढ़ने के दौरान मिलने लगा. 'गुनाहों का देवता' में सुधा के किरदार के साथ नाइंसाफी थी इसलिए उन्होंने 'रेत की मछली' में अपना पक्ष रखा.
लोग कहते हैं कि यह उपन्यास धर्मवीर भारती के निजी अनुभवों पर आधारित था. भगवान ना करे कि ऐसा हो. यह बहुत भयावह अनुभव है.
यह उपन्यास मुख्यतः तीन पात्रों के इर्द-गिर्द घूमता है और ये मुख्य पात्र हैं शोभन, कुंतल और मीनल. इसके अलावा भी कई पात्रों ने छोटी-छोटी भूमिका निभाई है.
मैंने जब 'गुनाहों का देवता' पढ़ा था तो सबने मुझे 'रेत की मछली' पढ़ने को कहा था. काफी दिनों बाद जब यह किताब पढ़ा तो गुनाहों का देवता मुझे दानव लगा.
....यह भावुक कर देने वाला उपन्यास है. गुनाहों के देवता के गुनाह वास्तव में कैसे थे इसे जानने के लिए कान्ता भारती की कृति 'रेत की मछली' उन सभी को अनिवार्य रूप से पढ़नी चाहिए जिन्होंने 'गुनाहों का देवता' को पढ़ा है. यह गुनाहों के देवता का अविभाज्य पहलू है और साथ ही साथ महानता का मुखौटा पहने चंदर के असली चेहरे को परत दर परत उधेड़ने वाला उपन्यास है.
'रेत की मछली' और 'गुनाहों का देवता' दोनों किताबों के नायक-नायिका जीवन में एक ही है. लेकिन 'गुनाहों का देवता' पढ़ने के बाद 'रेत की मछली' पढ़ना बेहद जरूरी है. 'रेत की मछली' में 'गुनाहों का देवता' देवता नहीं बल्कि राक्षस हो जाता है.
इसको पढ़ने के बाद जब भी कोई मुझसे कहेगा कि मैंने 'गुनाहों का देवता' पढ़ी है तो मैं पलट कर उससे जरूर कहूंगा कि 'रेत की मछली' भी पढ़ डालो.
निःसंदेह यह उपन्यास स्त्री विमर्श के चुनिंदा पठनीय उपन्यासों में अपना स्थान रखता है.
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रितेश जी की पुस्तकों के प्रति प्रेम जग जाहिर है उनके इस विश्लेषण ने रेत की मछली पढ़ने को विवश कर दिया।।।
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