हमारा परिवार संस्था के अंतर्गत ध्यान-साधना-सत्संग के आॅनलाइन कार्यक्रम ‘भगत के वश में है भगवान-आओ मिलकर लगाये ध्यान’ का प्रसारण किया गया। मुख्यातिथि प्रमुख समाजसेवी राजेंद्र गेरा, स्वामी विवेकानंद केंद्र के त्रिलोक चावला व संस्था के संयोजक दिनेश कपूर ने कहा कि भगवान तो भगत के भाव के भूखे होते हैं। जब भगवान श्रीकृष्ण पाण्डवों के दूत बनकर दुर्योधन के पास पहुंचे तो दुर्योधन ने उनका धूमधाम से स्वागत किया व उनके भोजन के लिए छप्पन भोग की व्यवस्था की। लेकिन भगवान श्रीकृष्ण उसके छप्पन भोग ठुकरा कर विदुरानी की कुटिया में पहुंच गये। विदुरानी उन्हें देखकर भक्ति भाव से विभोर हो गई। वह उन्हें अपने हाथ से केले खिलाने लगी। लेकिन प्रभु को देखकर सुधबुध भूल गई व केले के छिलके ही खिलाने लगी। जिन्हे प्रभु बडे प्रेम से खा रहे हैं। विदुर जी ने आकर कहा कि ये क्या छिलके खिला रही है द्वारकाधीश को। भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि जो स्वाद इन छिलकों में है वह छप्पन भोग में कहा।
संस्था के सहसंयोजक परवीन ठाकुर, एसएस जैन सभा के प्रधान अरूण गुप्ता ने कहा कि श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। बड़े-बड़े ऋषि मुनि उनकी स्तुति कर रहे है लेकिन वही भगवान माखन खाने के लिए गोपियों के कहने पर नाच रहे है। उनके नखरे उठा रहे हैं। क्योंकि भगवान तो भगत के वश में रहते है। महिला प्रधान शशि जुनेजा, प्रमुख शिक्षाविद मधुगुप्ता व प्रीति कपूर ने कहा कि शबरी मीलनी वर्षो प्रभु राम का इंतजार करती रही, प्रतिदिन उनके लिये फूल व फल लेकर आती। उनकी निशलछल भक्ति के कारण प्रभु राम को 40 कोस रास्ता बदलकर शबरी मीलनी के पास आना पड़ा व उसके हाथ से झूठे बेर भी बड़े प्रेम से खायें। कार्यक्रम में ‘भगत के वश में है भगवान’ भजन का सभी ने बड़े प्रेम से आनंद लिया। लाफ्टर थेरेपी पर खूब ठहाके लगाये। एक्युप्रेसर चिकित्सा का अभ्यास किया गया। स्वामी विवेकानंद की पुण्यतिथि पर उन्हें भावपूर्ण स्मरण किया गया। कार्यक्रम में मुख्यतः किशोरीलाल नंदवानी, सुनीता नंदवानी, सोनिया कपूर, ओजस्वी, पूर्वांशी, कपिल कपूर, अशोक जुनेजा, पुरूषोतम नंदवानी, पूनम नंदवानी, मदन लाल बत्रा, मनीष जलवा ने सहयोग किया।
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