ग्राम समाचार न्यूज : जय किसान आंदोलन संगठन के बैनर तले किसानो ने सोमवार को कृषि कार्यालय में एक दिन का सांकेतिक धरना दिया और पिछले साल रोग से नष्ट हुई कपास की फसल का ब्याज सहित मुआवजा दिलाने की मांग को लेकर प्रदर्शन और नारेबाजी की तरह मुख्यमंत्री के नाम जिला कृषि अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। किसानो के धरना प्रदर्शन ऑल इंडिया किसान खेत मजदुर संगठन ने भी अपना समर्थन दिया। प्रदर्शन कर रहे किसान नेता कॉमरेड राजेंद्र सिंह, समय सिंह, अभय सिंह अशोक कुमार और भजन सिंह ने कहा कि पिछले साल कपास की फसल में एक रोग लगने के कारन कपास की फसल को भारी नुकसान पहुंचा था। उस समय सरकार और कृषि विभाग द्वारा एक बीमा कंपनी को काम दिया था और नुकसान हुई फसल की विशेष गिरदावरी करवाकर किसानो को जल्द से जल्द उचित मुआवजा दिए जाने का आश्वासन किसानो को दिया गया था।
किसानो का कहना है कि अब एक साल का समय बीत गया है अगली फसल का समय आ गया है लेकिन अभी तक किसानो की नुकसान हुई फसल की न तो ठीक से गिरदावरी हुई है न मुआवजा ही मिला है। किसानो का कहना है कि आंकलन टीम की ओर से कपास की फसल में रोग के चलते 80 प्रतिशत तक नुकसान होने की रिपोर्ट विभाग को सौंप दी गई थी। किसानो ने बताया कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानो द्वारा प्रीमियम का भुगतान भी किया गया था अब बीमित कंपनी की ओर से किसानो की नुकसान हुई फसलों की भरपाई करनी थी लेकिन एक साल का समय बीत गया है अभी तक उन्हें न तो बीमा राशि के तहत मुआवजा मिला है और न अभी तक का ब्याज ही मिल पाया है। ऐसे में किसान खुद को ठगा सा महसूस कर रहे है। रेवाड़ी जिले में ऐसे करीब दस हज़ार किसान है जिनसे बीमा कंपनी ने प्रीमियम ले लिया लेकिन मुआवजा नहीं दिया। उन्होंने कहा कि प्राइवेट बीमा कंपनी ने किसानो के साथ छलावा किया है दफ़्तरों काट-काट कर किसान परेशान हो गए है। आज उनका सांकेतिक धरना था या तो 06 अगस्त तक मुआवजे की राशि पीड़ित किसानो के खाते में आ जानी चाहिए वर्ना संयुक्त किसान मोर्चा की और से एक झंडे के नीचे कृषि कार्यालय में किसान भारी संख्या में पहुंचेंगे और सरकार के खिलाफ आर-पार की लड़ाई लड़ेंगे।
वहीं इस बारे में जब हमने कृषि विभाग के एसडीओ दीपक कुमार ने माना कि कंपनी का फेल्योर है जो एक साल होने पर अभी तक क्लेम नहीं मिला है है और बीमा कंपनी की ओर से किसी को भी भुगतान नहीं किया गया है। उनकी ओर से बीमा कंपनी को कड़े शब्दों में कह दिया गया है और ज्ञापन सरकार और मुख्यालय को भेज दिया है।
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