ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के सौजन्य से गोड्डा प्रखंड के लेंगड़ाडीह गांव में "अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन" तथा "जल शक्ति अभियान" कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गृह वैज्ञानिक डाॅ0 प्रगतिका मिश्रा ने महिला किसानों को पोषण वाटिका लगाने की विधि एवं महत्व के विषय में विस्तारपूर्वक बताया। पोषण वाटिका लगा कर महिलाएं अपनी व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं| पोषण वाटिका से प्राप्त मौसमी फल व सब्जियों को परिरक्षित कर के सालभर इस्तेमाल किया जा सकता है। जल शक्ति अभियान के तहत उन्होंने जल संरक्षित करने की विधि, पानी का समुचित उपयोग एवं पानी के बचाने के तरीके पर प्रकाश डाला। सब्जियों व फलों को नल के नीचे धोने से पानी व्यर्थ बह जाता है। अगर इनको किसी बर्तन में पानी लेकर धोया जाए तो पानी तो कम खर्च होगा। जल सरंक्षण तो होगा ही साथ में इस पानी का उपयोग पोंछा लगाने में किया जा सकता है। वर्षा जल का संग्रहण सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए जरूरी है। सतह से बारिश के पानी को इकट्ठा करना बहुत ही असरदार और पारंपरिक तकनीक है। इससे छोटे तालाबों, भूमिगत टैंकों, बांध आदि के इस्तेमाल से जल संरक्षण किया जा सकता है। पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने कहा कि वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए खेतों में तालाब, डोभा एवं नहरों का निर्माण करना आवश्यक है, जिससे कि फसलों, सब्जियों, बागों की सिंचाई करने में सुविधा होगी। गाय, भैंस, बकरियों को पीने का पानी एवं नहलाने के लिए पानी का समुचित उपयोग होगा। सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई, बौछारी सिंचाई, फव्वारा सिंचाई से कम पानी की मात्रा में अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई किया जा सकता है। महिला किसानों को पोषण वाटिका लगाने के लिए लौकी, करेला, नेनुआ, सेम, हरा एवं लाल साग, बैंगन, बोड़ा, ग्वार फली, भिंडी के बीज, अमरूद, कसावा एवं क्रोटन के पौधे वितरित किया गया। मारथा हेम्ब्रम, बासोनी मुर्मू, सावित्री मुर्मू, मंजु सोरेन, बाहा किस्कू, रवीना हांसदा, पकु हेम्ब्रम, जूली बेसरा, उर्मिला हांसदा समेत 25 महिला किसान कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं।
Godda News: अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन तथा जल शक्ति अभियान कार्यक्रम आयोजित किया गया
ग्राम समाचार, गोड्डा ब्यूरो रिपोर्ट:- ग्रामीण विकास ट्रस्ट-कृषि विज्ञान केंद्र के सौजन्य से गोड्डा प्रखंड के लेंगड़ाडीह गांव में "अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन" तथा "जल शक्ति अभियान" कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम में गृह वैज्ञानिक डाॅ0 प्रगतिका मिश्रा ने महिला किसानों को पोषण वाटिका लगाने की विधि एवं महत्व के विषय में विस्तारपूर्वक बताया। पोषण वाटिका लगा कर महिलाएं अपनी व अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को मजबूत बना सकते हैं| पोषण वाटिका से प्राप्त मौसमी फल व सब्जियों को परिरक्षित कर के सालभर इस्तेमाल किया जा सकता है। जल शक्ति अभियान के तहत उन्होंने जल संरक्षित करने की विधि, पानी का समुचित उपयोग एवं पानी के बचाने के तरीके पर प्रकाश डाला। सब्जियों व फलों को नल के नीचे धोने से पानी व्यर्थ बह जाता है। अगर इनको किसी बर्तन में पानी लेकर धोया जाए तो पानी तो कम खर्च होगा। जल सरंक्षण तो होगा ही साथ में इस पानी का उपयोग पोंछा लगाने में किया जा सकता है। वर्षा जल का संग्रहण सभी क्षेत्रों के लोगों के लिए जरूरी है। सतह से बारिश के पानी को इकट्ठा करना बहुत ही असरदार और पारंपरिक तकनीक है। इससे छोटे तालाबों, भूमिगत टैंकों, बांध आदि के इस्तेमाल से जल संरक्षण किया जा सकता है। पशुपालन वैज्ञानिक डाॅ0 सतीश कुमार ने कहा कि वर्षा जल को संरक्षित करने के लिए खेतों में तालाब, डोभा एवं नहरों का निर्माण करना आवश्यक है, जिससे कि फसलों, सब्जियों, बागों की सिंचाई करने में सुविधा होगी। गाय, भैंस, बकरियों को पीने का पानी एवं नहलाने के लिए पानी का समुचित उपयोग होगा। सिंचाई के लिए सूक्ष्म सिंचाई, बौछारी सिंचाई, फव्वारा सिंचाई से कम पानी की मात्रा में अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई किया जा सकता है। महिला किसानों को पोषण वाटिका लगाने के लिए लौकी, करेला, नेनुआ, सेम, हरा एवं लाल साग, बैंगन, बोड़ा, ग्वार फली, भिंडी के बीज, अमरूद, कसावा एवं क्रोटन के पौधे वितरित किया गया। मारथा हेम्ब्रम, बासोनी मुर्मू, सावित्री मुर्मू, मंजु सोरेन, बाहा किस्कू, रवीना हांसदा, पकु हेम्ब्रम, जूली बेसरा, उर्मिला हांसदा समेत 25 महिला किसान कार्यक्रम में सम्मिलित हुईं।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें