ग्राम समाचार,बौंसी,बांका।
प्रखंड क्षेत्र में सभी मुस्लिम समुदाय के लोगों के द्वारा बड़ी ही अकीदत व शांति सौहार्दपूर्ण में बकरीद पर्व मनाया गया। मुस्लिम धर्म में ईद के अलावा जिस त्योहार को सबसे शानदार ढंग से मनाया जाता है, वो है बकरा ईद। बकरीद का दूसरा नाम ईद-अल-अजहा है। जिसका मतलब होता है बलिदान का पर्व। इस त्योहार पर लोग अपने पसंदीदा पशु की बलि देते हैं, जो सामान्य तौर पर बकरा ही होता है। यही
वजह है कि इसे बकरीद कहते हैं। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार ईल-उल-अजहा 12वें महीने की 10 तारीख को मनाया जाता है। इस बरस 21 जुलाई को बकरीद मनाई जा रही है। इस साल कोरोना के कारण बकरीद पर ग्रैंड सेलीब्रेशन करने की छूट नहीं थी। फिर भी ऐसे में सभी अपनों को दिल खोलकर ईद की मुबारकबाद दी। इस्लाम में बकरीद का विशेष महत्व है। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक हजरत इब्राहिम अलेह सलाम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल अलेह सलाम को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा की राह में कुर्बान किया था। तब खुदा ने उनके जज्बे को देखकर उनके बेटे को जीवन दान देकर और उसके जगह पर बकरे की कुर्बानी हो गई थी। इसी की याद में बकरीद पर्व को मनाया जाता है। यह
पर्व हर मुसलमान गांव में धूमधाम से मनाया गया। इस दिन लाचार वेवश, असहाय गरीबों पर खास ध्यान रखा जाता है। कुर्बानी के बाद बकरे का गोश्त के तीन हिस्से किए जाते हैं। इस तीन हिस्सों में खुद के लिए एक हिस्सा रखा जाता है। एक हिस्सा पड़ोसियों और रिश्तेदारों को बांटा जाता है और एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों को बांट दिया जाता है। इसके जरिए मुस्लिम लोग पैगाम देते हैं कि वह अपने दिल के करीब चीज भी दूसरों के बेहतर के लिए अल्लाह की राह में कुर्बान कर देते हैं। इस दिन बच्चे बूढ़े जवान सभी अच्छे-अच्छे लिबास पहनकर इस कोरोना काल की स्थिति में सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए अपने अपने घरों में नमाज अदा कर एक दूसरे भाइयों को मुबारकबाद देते हुए देखा गया।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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