देश इस समय ऐसी महामारी से जूझ रहा है जो अब तक कि ऐसी सबसे खतरनाक बीमारी साबित हुई है जिसका पूर्ण रूप से कोई समाधान नहीं है। हालांकि पूरा विश्व इस महामारी से निजात पाने के लिए नित नए शोध कर रहा है। ऐसे में एक राष्ट्र दूसरे राष्ट्र की धन, दवा व अन्य जीवन रक्षक उपकरणों से मदद कर रहा है। मगर हैरत की बात है कि भारत मे इस बीमारी से लड़ने की बजाय राजनैतिक पार्टियां एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा राजनीति कर रही हैं जो देश के लिए शर्मनाक है। देश मे जो भी राजनैतिक पार्टी सत्ता में है वहां विपक्षी पार्टियों को राजनीति, आरोप प्रत्यारोप की जगह एक जुट होकर समाज की सेवा करनी करनी चाहिए। यहां लोगों की जान जा रही है और नेता घरों में बैठ कर एक दूसरे पर राजनैतिक वार कर रहे हैं। भारतीय वायु सेना से सेवानिवृत्त जूनियर वारंट ऑफिसर जी एस अग्रवाल ने कहा कि राजनीति करने के लिए जिंदगी पड़ी है, मगर पहले वो जिंदगी बचानी जरूरी है जो इस महामारी से जूझ रही है।
जब देश में जनता ही नहीं रहेगी तो आप की राजनीति किस काम की। श्री अग्रवाल ने दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारत जैसे लोकतांत्रिक देश का दुर्भाग्य है जहां लाशों पर राजनीति की जा रही है। राजनेताओं को चाहिए कि वे इस प्राकृतिक आपदा के समय यह देखें, कहां पर किस चीज की कमी है। सरकार से निवेदन करें या फिर स्वयं भी पार्टी फंड से खर्च कर सकते है। मसलन यूपी के प्रयागराज में दाहसंस्कार की बजाय गंगा जी मे शवों का यूं बहना व लकड़ियों की कमी दिल को झकझोर रही है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक राज्य सरकारों को सर्वप्रथम प्रत्येक जिले में कोरोना से मरे लोगों के लिए एक इलेक्ट्रिक शव दाह गृह का तुरन्त प्रभाव से निर्माण करना चाहिए जो पूर्णतया निःशुल्क हो। इस समय देश की अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है। सरकारें गरीब, बीपीएल का तो पेट भर रही है मगर माध्यम वर्ग का कोई ख्याल नहीं है। ऐसे में सरकारों को उन माध्यम वर्ग के लोगों का भी ध्यान रखना चाहिए जो ना जी रहा है और ना मर रहा है अर्थात उंसके पास ना तो कोई इंकम है और ना ही उसे सरकार से कोई अनुदान मिल रहा है। ऐसे में सभी राजनैतिक दलों या सरकारों को उनका भी ध्यान रखना चाहिए। श्री अग्रवाल ने उन सभी समाजसेवियों व उद्योगपतियों का धन्यवाद किया जो इस महामारी में आगे आकर जनसेवा कर रहें है। उन्होंने कहा कि राजनेताओं को भी आगे आना चाहिए।
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