ग्राम समाचार, पथर गामा:- 05अप्रैल 2021 को पथरगामा प्रखंड के पीपरा पंचायत अंतर्गत होपनाटोला में टोटेमिक कुरमी कुड़मी विकास मोर्चा गोड्डा के तत्वावधान देश के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम चुआड़ विद्रोह के महानायक वीर शहीद रघुनाथ महतो का 244वां शहादत दिवस के मौके पर अगरबत्ती दिखाकर व फूल माला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई! इस अवसर पर टोटेमिक कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा के केन्द्रीय उपाध्यक्ष मालेश्वर महतो ने बताया कि शहीद रघुनाथ महतो का जन्म सरायकेला खरसांवा जिला के नीमडीह प्रखंड के घुटियाडीह में 21 मार्च 1738 को एक किसान परिवार में हुआ था! इन्होंने 1769 में फाल्गुन पूर्णिमा के दिन नीमडीह के मैदान में अंग्रेजों के दमन नीति के खिलाफ जनसभा बुलाई! यही स्थान का नाम रघुनाथपुर के नाम से जाना गया! अंग्रेजों को ललकारते हुए नारा दिया "अपना गांव अपना राज, दूर भगाओ अंग्रेज राज"! उस विशाल जनसभा में उपस्थित सभी ने अंग्रेजों को किसी प्रकार का कर नही देने का संकल्प लिया! 5 अप्रैल 1778 को रांची जिले के सिल्ली प्रखंड के किता लोटा के जंगल से सटे स्थान पर रामगढ़ पुलिस छावनी में हमला करने की रणनीति बना रहे थे! इसी बीच अंग्रेजी सेनाओं ने रघुनाथ महतो एवं उनके सहयोगियों को चारों ओर से घेर कर धोखे से गोलियां चलाई दोनो ओर से काफी देर तक घमासान हुआ जिसमे रघुनाथ महतो, बुली महतो, समेत सैंकड़ों क्रांतिकारी शहीद हो गए और हजारों को गिरफ्तार कर लिया गया! आज भी आंदोलन के कई साक्ष्य रघुनाथपुर, घुटियाडीह, सिल्ली व लोटा गांव में मौजूद है! अतः हम सभी झारखंड सरकार व केन्द्र सरकार से मांग करते हैं इनके इतिहास को स्कूल कॉलेज के पाठ्य पुस्तकों में शामिल किया जाए व विधानसभा भवन में अवस्थित मूर्ति गार्डेन में शहीद रघुनाथ महतो की प्रतिमा स्थापित किया जाय। मोके पर टोटेमिक कुरमी/कुड़मी विकास मोर्चा गोड्डा जिला अध्यक्ष दिनेश कुमार महतो, जिला कोषाध्यक्ष दीपक कुमार महतो, जिला सचिव निताई महतो, प्रखंड अध्यक्ष केशव महतो प्रखंड कोषाध्यक्ष मुकेश कुमार महतो, राजेन्द्र महतो, शशि कुमार मड़ैया, परमानंद महतो, दीपक महतो, नित्यानंद महतो, प्रिंस कुमार महतो, हराधन महतो, राम महतो, एवं महिला में कलावती देवी, अनिता देवी, अंजलि कुमारी सुश्री बबली कुमारी, प्रिया कुमारी, दीप्ति श्री महतो, राखी कुमारी, अंजू कुमारी, रानी कुमारी, मीरा देवी, रानी देवी, मीना देवी, मो गुंजरी, मो दुलारी, मो गंधारी आदि समाज के सैकड़ों लोग शामिल थे।
-:अमन राज, पथरगामा:-
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