विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा डॉ. दलजीत सिंह अरोड़ा को बॉयोटेक्नोलॉजी विभागाध्यक्ष का कार्यभार सौंपा गया है। उनको विभागाध्यक्ष का कार्यभार सौंपने पर कुलपति प्रो. एस.के.गक्खड़ ने कहा कि उनके लम्बे शैक्षणिक अनुभव से इस ग्रामीण क्षेत्र में स्थित विश्वविद्यालय के विज्ञान के विद्यार्थियों को ही नही अपितु विश्वविद्यालय को भी लाभ होगा। इस अवसर पर डॉ. दलजीत सिंह अरोड़ा ने विभागाध्यक्ष का कार्यभार सौंपने पर उनका धन्यवाद दिया और कहा जो जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई है, उसको वे अपनी पूरी ईमानदरी, निष्ठा व कर्तव्यपरायणयता के साथ निभाऐंगे।
यहा यह वर्णनीय है कि डॉ. दलजीत सिंह अरोड़ा ने अपनी शिक्षा गुरू नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर से की और उन्होंने 1984 में योग्यता धारक होने के साथ-साथ बॉयोलोजी में डॉक्टरेट की उपाधी प्राप्त की। उन्होंने अपने पेशेवर करियर की शुरूआत महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक में अक्टूबर, 1984 में लेक्चरर के रूप में की और वहॉं 1994 तक अपनी सेवाऐं प्रदान की। उन्होंने 1986-87 के दौरान इंस्टिटयूट ऑफ माइक्रोबियल टेक्नोलॉली, चण्डीगढ़ में वैज्ञानिक सी के रूप में कार्य किया। उन्होंने 1994 में माइक्रोबायोलॉली, गुरू नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर में ज्वाइन किया और दिसम्बर, 2016 में वे प्रोफेसर माइक्रोबायोलॉली के रूप में सेवानिवृत होने के बाद भी उन्हें फिर से प्रोफेसर के पद पर नियुक्त किया गया और इसके बाद उन्हें 2020 तक अपनी सेवाए प्रदान की। इस दौरान उन्होंने विश्वविद्यालय में डीन, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज, निदेशक, अखिल भारतीय सेवा पूर्व परीक्षा और प्रशिक्षण केन्द्र, सिंडीकेट और सीनेट के भी सदस्य रहे है, आदि विभिन्न क्षमताओं में काम किया उनके 36 वर्षाें के शैक्षणिक अनुभव के अलावा एक विशाल शोध अनुभव है। उनका अनुसंधान क्षेत्र माइक्रोबियल टेक्नोलॉली है। उन्होंने विभिन्न फंडिंग एजेंसियों द्वारा वित पोषित विभिन्न अनुसंधान परियोजनाआंे को पूरा किया है। उनके पास 15 से अधिक पी.एचडी स्कोलर है और 150 से अधिक अन्तरराष्ट्रीय ख्याति के शोध प्रकाशन है। नवम्बर, 2020 में वह एक स्वतंत्र अध्ययन में शीर्ष विश्व वैज्ञानिक के दो प्रतिशत के बीच स्थान पर था, जो स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूएसए द्वारा आयोजित किया गया था। इन्होंने कई राष्ट्रीय व अन्तरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लिया।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें