रेवाड़ी, 25 फरवरी। राष्ट्रीय क्षय रोग उन्मूलन कार्यक्रम (एनटीईपी) के तहत टी बी हारेगा, देश जीतेगा के उद्देश्य के साथ उपायुक्त यशेन्द्र ङ्क्षसह की अध्यक्षता में आज लघु सचिवालय सभागार में जिला टीबी फोरम की बैठक आयोजित की गई।
उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2025 तक टीबी को देश से समाप्त करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि हमें वर्ष 2025 तक जिला से टीबी को खत्म करना है। इसको लेकर लोगों में बहुत सी भ्रांतियां थीं जो अब धीरे-धीरे कम हो रही हैं। उन्होंने चिकित्सकों का आह्वïान किया कि पंचायत विभाग व महिला एवं बाल विकास विभाग के मिलकर इसका अधिक से अधिक प्रचार-प्रचार किया जाएं। उन्होंने कहा कि गांवों में शिविर लगाकर लोगों को जागरूक किया जाएं।
इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ सुशील माही ने बताया कि जिले के सभी अस्पतालों में में टीबी की जाँच व इलाज नि:शुल्क किया जाता है। उन्होंने बताया कि निक्षय पोषण योजना के तहत, इलाज के दौरान पोषण के लिए सरकार द्वारा 500 रूपये की धनराशि लाभार्थी के खाते में प्रतिमाह सीधे भेजी जाती है। डॉ ने बताया टीबी रोग को समाप्त करने के लिए अब सरकार द्वारा सरकारी और निजी चिकित्सकों द्वारा टीबी रोगियों का नोटिफिकेशन कराना अनिवार्य कर दिया गया है साथ ही निजी चिकित्सकों को टीबी रोगियों की सूचना देने पर 500 रूपये की प्रोत्साहन राशि तथा यदि टीबी से ग्रसित मरीज अपना इलाज पूरा कराता है तो 500 रूपये की अतिरिक्त प्रोत्साहन धनराशि दी जाती है।
डॉ राजबीर ने बैठक में बताया कि समय से दवाएं ली जाएँ, दवाओं का पूरा कोर्स किया जाए तथा उचित पोषण लिया जाये तो टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकती है। यह मायकोबैक्टीरियम ट्युबरकुलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली बीमारी है। ऐसे लोग जिन्हें लम्बे समय तक खांसी रहती है, एचआईवी के मरीज, मधुमेह के मरीज, ऐसे लोग जिन्होंने लम्बे समय तक स्टीरोयाड्स का सेवन किया है, ऐसे लोगों की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने के कारण टीबी होने की सम्भावना अधिक होती है।
बैठक में बताया गया कि जिला में पिछले वर्ष 1980 टीबी के मरीज थे इस वर्ष 320 मरीज है। जिला में 1010 मरीज टीबी की दवाई ले रहे है, इसके अतिरिक्त जिला में 38 केस ऐसे है जो बिगड़ी हुई टीबी के है।
इसके उपरांत उपायुक्त यशेन्द्र सिंह ने एड्स कन्ट्रोल सोसायटी की बैठक ली। जिसमें एचआईवी फैलने के कारणों व इसकी रोकथाम के लिए किए जा रहे उपायों के बारे में डॉक्टरों ने जानकारी दी। बैठक में बताया गया कि जिले में 711 एचआईवी पॉजिटिव मरीजों का ईलाज चल रहा है।
डॉ राजबीर ने इस अवसर पर बताया कि एचआईवी से पीडित गृभवती महिला की पहचान होने पर उसके बच्चे को बीमारी से बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सरकार ने सभी गृभवती महिलाओ की जांच जरूरी की हुई है। डॉ ने बताया कि एड्स मानवीय प्रतिरक्षी अपूर्णता विषाणु (॥ह्वद्वड्डठ्ठ द्बद्वद्वह्वठ्ठशस्रद्गद्घद्बष्द्बद्गठ्ठष्4 1द्बह्म्ह्वह्य) से होता है। जो कि मानव की प्राकृतिक प्रतिरोधी क्षमता को कमजोर करता है। जिसका काम शरीर को संक्रामक बीमारियों, जो कि जीवाणु और विषाणु से होती हैं से बचाना होता है। एच.आई.वी. द्वारा आक्रमण करने से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षय होने लगती है तो इस सुरक्षा कवच के बिना एड्स पीडि़त लोग भयानक बीमारियों क्षय रोग और कैंसर आदि से पीडि़त हो जाते हैं।
इस अवसर पर एसडीएम कोसली कुशल कटारिया, एसडीएम बावल मनोज कुमार, सीटीएम रोहित कुमार, सीएमजीजीए डॉ मृदुला सूद, डीडीपीओ हरी प्रसाद बंसल, जिला शिक्षा अधिकारी राजेश कुमार, कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास संगीता यादव, रैडक्रास सचिव वाजिद अली, विश्व स्वास्थ्य संगठन से डॉ कृतिका बंसल, आईएमए के डॉ पवन गोयल, डॉ सुमित कौशिक, सुमन, पूनम, सतेन्द्र, भावना, रविन्द्र विनोद, सीमा भी उपस्थित थे।
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