ग्राम समाचार, पाकुड़। सूर्य का जब मकर राशि में प्रवेश होता है तो इसे शुभ समय की प्रवेश मनी जाती है। ज्योतिषाचार्यो के अनुसार जब सूर्य देव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं मकर संक्रांति अर्थात तिलवा संक्रांती का पर्व मनाते है। इस दिन से घरों में मांगलिक कार्य की शुरुवात करते हैं।यह हिन्दू धर्मालंबियों के महत्वपूर्ण प्रबो में से एक पर्व है।जो जिले भर में हिन्दू रीति रिवाज से मनाई गई।बहुत सारे बड़े बुजुर्ग आज के दिन गंगा में स्नान कर तिल गुड़ से भगवान भास्कर को आर्ग देते है।महाभारत ,आदि ग्रंथों इसकी चर्चा है। भागीरथ और गंगा मां की कथा में भी वर्णन है। स्थानीय स्तर पर यह पर्व वनवासियों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। सफा होड़ आज के दिन अपने रीति रिवाज से पूजा अर्चना करते है। मकर संक्रांति के अवसर पर पाकुरिया हिरणपुर महेशपुर आदि में लोग नजदीकी नदी में डुबकी लगाकर भगवान भास्कर की पूजा अर्चना करते हैं । चुरा दही का भोग लगाते है और भोजन के रूप में ग्रहण करते हैं। वही पाकुड़िया प्रखंड अंतर्गत सीतपुर में गर्म झरना में श्रद्धालु स्नान कर वहां स्थापित देवी देवता का पूजा विधि विधान से करते हैं। यह जिले के अलावे पश्चिम बंगाल बिहार गोड्डा दुमका कोलकाता हावड़ा शिउरी साहिब गंज रामपुरहाट छत्तीसगढ़ आदि से बड़ी संख्या में सफा होड़ आते हैं।गरम पानी के कुंड में स्नान कर अपने रीति रिवाज से पूजा अर्चना करते हैं ।कहा जाता है गरम पानी के कुंड में स्नान कर पूजा करने से चर्म रोग से लोगों की मुक्ति मिलती है इस अवसर पर यहां मेले का आयोजन होता है । मीना बाजार मैं लोग जमकर खरीदारी करते हैं। झूले का आनंद उठाते हैं। कुछ लोग इस दिन दोपहर में पतंग उड़ाने का आनंद लेते हैं ,तो कुछ लोग खिचड़ी खाने का आनंद उठाते हैं। इस पर्व का पौराणिक मान्यता है कहते हैं आज के दिन से दिन तील तिल बड़ा होता हैं। मेले में प्रशासन की ओर से पुलिस की शक्त व्यवस्था की गई थी ।अग्निशामक भी मौजूद थे।
ग्राम समाचार, पाकुड़ राजकुमार भगत की रिपोर्ट।
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