ग्राम समाचार, बौंसी, बांका।
बाँका के अमरवीर क्रांतिवीरों की अमरगाथा.....
शहीद सतीश वीर शिरोमणि
11अगस्त 1942 को पटना सचिवालय के सामने अंग्रेजी हुकूमत की गोली के शिकार हुये बॉंका के अमरवीर सतीश प्रसाद झा । वे बॉंका जिला के खड़हरा ग्राम में एक ब्राह्रमण परिवार में 25 जनवरी 1925 को जन्मे थे और पटना में पढ़ने के दौरान वे आजादी की लड़ाई में कूद पड़े और सचिवालय की बुर्ज पर तिरंगा फहराने के दौरान वे फिरंगियों की गोली के शिकार हो गये । बिहार के सात शहीदों में ये दूसरे नंबर पर थे ।
शहीद महेन्द्र गोप |
क्रांतिवीर महेन्द्र गोप की पहचान एक रणबॉंकुड़ा के रूप में थी जिन्होंने ब्रिटिश हुक्मरानों के छक्के छुड़ा दिये थे । उनका जन्म अमरपुर भरको के पास रामपुर गॉंव में एक किसान के घर में हुआ था । 13 नवंबर 1946 ई. में भागलपुर सेंट्रल जेल में उन्हें फॉंसी दे दी गयी । वे अंग्रेजों के साथ गुरिल्ला युद्ध करते थे ।
अमरवीर सिरी गोप
बॉंका जिला मुख्यालय से जयपुर जमदाहा मार्ग पर अवस्थित लकड़ीकोला गॉंव में जन्मे सिरी गोप एक वीर योद्धा क्रांतिवीर थे जो हँसते हँसते फिरंगियों की गोली के शिकार हुये थे ।
अमर सेनानी आद्या , गुदर एवं यमुना प्रसाद सिंह
बेलहर के क्रांतिवीरों में चुहटिया गॉंव में जन्मे तीन सपूतों को हम नहीं भूल सकते हैं । आद्या प्रसाद सिंह , यमुना प्रसाद सिंह और गुदर सिंह तीनों सिंहबंधुओं के सीने को ब्रितानी हुकूमत के गोरखा सैनिकों ने बेलहर थाना के पास गोलियों से छलनी कर अपनी क्रूरता का परिचय दिया था ।
सहोदर संग्रामी जागो साही लखी साही पागो साही
मंदार की लाल माटी में अवस्थित कचनसा के देशभक्त सहोदर भाईयों जागो साही और लखी साही को 1945 में ब्रिटिश हुक्मरानों ने भागलपुर जेल में फॉंसी पर लटका दिया । ये विप्लवी परशुरामी सेना के सेनानी थे ।
शीतल गुप्ता , दुखन और रामावतार के दर्द से कराह रहे हैं बेलहर अंचलवासी
बेलहर के खेसर गॉंव में जन्मे शीतल प्रसाद गुप्ता , धौरी गॉंव के दुखन रविदास और बघौनियॉं के रामावतार मंडल ने भी देश की खातिर अपनी कुर्बानी दी थी ।
नकटी के वीर सेनानी दरबारी टुड्डू
कटोरिया अंचल के नकटी में एक आदिवासी परिवार में दरबारी का जन्म हुआ था जिन्हें नीलकुंज पहाड़ी के पास अंग्रेजों ने गोलियों से छलनी कर दिया ।
शहीद शशि प्रसाद सिंह , विश्ववनाथ सिंह एवं महिपाल सिंह
शंभुगंज के कुशाहा गॉंव निवासी शशि प्रसाद सिंह एवं छत्रहार के विश्वनाथ सिंह तथा रमचुआ के महिपाल सिंह ने भी सीने पर गोलियॉं खाकर देश का मान बढ़ाया ।
मकदुम्मा के लाल रामचंदर दर्वे और पोद्दार
जिन सपूतों ने अँग्रेजों की मार से दम तोड़ दिये उनमें से मकदुम्मा के दो सेनानियों को हम सदा याद रखेंगे , रामचंदर और पोद्दार
पं. भुवनेश्वर मिश्र जो अँग्रेजों के लिये महाकाल थे
फागा में जन्मे भुवनेश्वर निश्र परशुरामी सेना के सेनानायक थे जिन्होंने फिरंगियों का जीना हराम कर रखा था ।
इनके अलावे भी कितने गुमनाम सितारे थे जिन्हें हम याद नहीं कर पाते जमदाहा के पेचू साह , सत्यनारायण मिश्र , कोलहत्था के मंगनीलाल मंडल , पैर के बिजेन्द्र नारायण सिंह , गौरीपुर के मनेजर चौधरी , लखपुरा के श्रीधर सिंह सहित असंख्य सेनानी थे जिनका योगदान और बलिदान भुलाया नहीं जा सकता ।
( साभार :- मनोज कुमार मिश्र )
कुमार चंदन, ग्राम समाचार संवाददाता, बौंसी।
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