कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्राचार्य डॉ विनोद कुमार ने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन प्रदुषण का सबसे बड़ा कारण है पत्थरों के अत्यधिक दोहन से प्रदूषण का खतरा बना हुआ है।उन्होंने भोपाल गैस त्रासदी को पूरी मानवता के लिए एक सीख बताया। कार्यक्रम के संचालन कर रहे भूवैज्ञानिक पर्यावरणविद एनएसएस नोडल ऑफिसर डॉ रणजीत सिंह ने कहा कि सरकार व शासन को प्रकृति फ्रेंडली पर्यावरण संरक्षण व वायु जल व ध्वनि मिट्टी को प्रदूषित होने से बचाना होगा। प्रो अनु सुमन बाड़ा ने कहा कि कुछ इलाकों में उड़ती धूलकण बीमारियों को आमंत्रित कर रही हैं। भोपाल गैस त्रासदी मिसि मैनेजमेंट व अनदेखी का नतीजा थी। ठीक इसी प्रकार अगर साहिबगंज में पत्थर उधोग को कंट्रोल नहीं किया गया तो इसके भयंकर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक संसाधनों से लैस पहाड़ व गंगा के बीच बसा साहिबगंज आज प्रदूषण की जद में है।
नमामि गंगे शोधकर्ता एकता शर्मा ने कहा कि भोपाल गैस त्रासदी इस बात का सबूत है कि जब मानव प्रकृति से छेड़छाड़ करता है तो ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है जो किसी के कंट्रोल में नहीं आती। इसके लिए सभी लोगो को जागरूक करके पर्यावरण के साथ जुड़ाव ज़रूरी है।कार्यक्रम में उपस्थित छात्रों ने पर्यावरण संरक्षण व प्रदूषण नियंत्रण की शपथ भी ली।आज प्रदूषण दिवस कार्यक्रम में प्रो. प्रसनजीत कुमार दास, छात्र दीपांजलि,कनक,अंजलि,ज्योति,सुनील,विनय टुडू सहित महाविद्यालय केअनेकों छात्र छात्रायें उपस्थित थे।
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