ग्राम समाचार न्यूज : रेवाड़ी : चुनाव प्रचार का शोर थमने के साथ अब 27 दिसंबर को होने वाले रेवाड़ी नगर परिषद के चुनाव में मतदाता के आकलन की बारी है । नगर की सरकार चुनने के लिए 31 वार्ड के कुल 1,07,317 मतदाता 147 उम्मीदवारों में से अपने अपने वार्ड का एक सेवक चयन करेंगे । इस बार परिषद के चेयर पर्सन का भी सीधा चयन मतदाता ही करेंगे । पिछड़ा वर्ग की महिला के लिए आरक्षित इस पद पर 6 महिला प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रही हैं । कांग्रेस , भाजपा व बसपा ने इस पद के लिए अपने चुनाव चिन्ह पर प्रत्याशी मैदान में उतारे हैं । भाजपा ने वार्ड के पार्षद के लिए भी चुनाव चिन्ह अलॉट किए हैं । नगर में अहीर, सैनी ,गुर्जर ,प्रजापत, जांगिड़, सुनार, लोहार, मणियार, नाई, तेली, धोबी, ठठेरा आदि पिछड़ा वर्ग के लगभग 35000 मतदाता हैं । अनुसूचित जाति एवं अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं की संख्या 25000 के आसपास है । वहीं पंजाबी, बनिया, ब्राह्मण, राजपूत, जाट आदि सामान्य वर्ग के मतदाताओं का आंकड़ा 47000 के पास है । कोरोनावायरस के इस दौर में सरकार द्वारा जारी एहतियात पालना की कड़ी गाइडलाइंस के मद्देनजर मतदान प्रतिशत कितना रहेगा, मतदान खत्म होने पर ही पता लग पाएगा । बढ़ता हुआ ठंड का प्रकोप और दिल्ली व जयसिंहपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों का मसला भी कहीं ना कहीं मतदान के प्रतिशत को अवश्य प्रभावित करेगा ।
कांग्रेस और भाजपा दोनों ने ही अहीर जाति के उम्मीदवार मैदान में उतारे हैं । बसपा प्रत्याशी गुर्जर जाति से है । अन्य दो अहीर निर्दलीय उम्मीदवार भी अहीर जाति से हैं जबकि छटा निर्दलीय गुर्जर जाति से है । भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार के अलावा दो अन्य निर्दलीय भी ताल ठोक कर अपने आप को सत्तारूढ़ गठबंधन का ही अंग मान रहे हैं । कांग्रेस प्रत्याशी हलके के मौजूदा विधायक के परिवार से संबंध रखती है । संयोगवश भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी दोनों ही मूल रूप से नगर के समीप सहारणवास गांव से संबंध रखते हैं । एक निर्दलीय प्रत्याशी पूर्व जिला प्रमुख व बार एसोसिएशन के कई योजना प्रधान रहे अधिवक्ता की पत्नी है । एक निर्दलीय प्रत्याशी परिषद के पूर्व चेयरमैन और अपने वार्ड से निर्विरोध तक चुने जाने वाले पार्षद की पत्नी है । एक अन्य निर्दलीय प्रत्याशी भी अपने पति के साथ स्वयं भी अधिवक्ता है ।
कांग्रेस प्रत्याशी को पिछले साल संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में अपने परिवार के सदस्य की जीत का जहां लाभ होता दिखाई दे रहा है वहीं विपक्ष में रहने का नुकसान भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता । भाजपा प्रत्याशी को प्रदेश में सरकार होने का फायदा नजर आता है वहीं पिछले 6 साल से सरकार की नाकामियों का तंज भी झेलना होगा । निर्दलीय प्रत्याशियों को अपने पतियों की उपलब्धियों के साथ सत्तारूढ़ पार्टी के बागी नेताओं के समर्थन से जीत की किरण दिखाई दे रही है । वहीं बसपा प्रत्याशी अपनी बिरादरी के साथ अनुसूचित जाति के वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए है । पिछड़े वर्ग के वोट बैंक में कम ज्यादा सभी छह उम्मीदवार हिस्सेदारी करेंगे । हार जीत का असली फैसला तो सामान्य वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं के हाथ में ही नजर आ रहा है, जो प्रत्याशी इन वर्ग के मतदाताओं में निर्णायक बढ़त प्राप्त कर लेता है विजय श्री उसी के गले का हार बनेगी । जनतंत्र समाज के संयोजक एंव रहट चाल के सम्पादक वरिष्ठ अधिवक्ता नरेश चौहान ने नगर के मतदाताओं से अधिक से अधिक मतदान करने की अपील की है ।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें