ग्राम समाचार, पाकुड़। पाकुड़िया सोहराय पर्व को लेकर आदिवासी समाज के साथ साथ कुम्हार जाति के शिल्पकार भी तैयारी में जुट गए हैं। संथाल समाज का सबसे महत्वपूर्ण सोहराय पर्व शुरु होने में महज एक पखवारा शेष रह गया है । इस पर्व के लिए जहां संथाल समुदाय के घर-घर में साफ-सफाई का काम शुरु हो गया है वहीं इस पर्व में उपयोगी मिट्टी आदि बनाने के लिए दूसरे समुदाय भी सक्रिय है । इस कड़ी में खासकर मिट्टी के छोटे बड़े वर्तन एवं अन्य सामग्री की तैयारी में कुम्हार जाति के शिल्पकार तन मन से जुट गए हैं। पाकुड़िया प्रखंड के मंगलाबांध ,जुगाड़ीया , आमकोना आदि गांव में इस जाति के पेशेवर शिल्पकार द्वारा अलग अलग आकार के मिट्टी का आकर्षणीय सामान बनाया जा रहा है। इस संबंध में नीलकंठ पाल ने बताया कि पुश्तैनी कारोबार को बढ़ावा देने के लिए किसी भी दिशा से प्रोत्साहन नहीं मिलता है,कोरोना काल में कारोबार डगमगा गया है तथा प्लास्टिक फाइबर आदि से बने सामग्री से बाजार भी प्रभावित हो रहा है । ऐसे में नए नए हूनर और रोजगार बढ़ने के बजाय घटने लगा है । सिर्फ सोहराय,मकर संक्रांति दशहरा आदि पर्व त्योहार में ही कारोबार में कुछ मन लगता है । मांग एवं स्थानीय बाजार नहीं रहने के कारण अपने उत्पादित सामानों को बेचने के लिए भिन्न भिन्न गांव जाना होता है ।इस पर्व के संबंध में आदिवासी समाज के बुद्धिजीवी सुशील हांसदा एवं राम हांसदा ने कहा है कि सोहराय पर्व के दौरान प्रसाद एवं भोजन सामग्री तैयार करने के लिए नया बर्तन का उपयोग किया जाता है । इतना ही नहीं मिट्टी बर्तन को समाज में शुद्ध मानते हैं । यही कारण है कि सोहराय पर्व में मिट्टी से बने विभिन्न आकार के बर्तन की आवश्यकता होती है ।
ग्राम समाचार, पाकुड़िया। विशाल कुमार भगत की रिपोर्ट।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें