ग्राम समाचार, दुमका। आदिबासी समाज के लिये 12 नवंबर का दिन एक ऐतहासिक दिन बनगया हैं ।राज्य मंत्री मंडल की बैठक में सरना आदिबासी धर्म कोड के प्रस्ताव पारित कर दिया गया हैं ।साथ ही राज्य सरकार ने जनगणना में सरना आदिबासी धर्म कोड को शामिल करने के लिये केंद्र सरकार को प्रस्ताब भेजने का निर्णय लिया हैं ।जिसको लेकर यहां आदिबासी समाज मे खुशी की लहर दौड़ गयी हैं ।दूसरी ओर यहा कई आदिबासी समाज के लोग धर्म कोड के नामकरण की मौजूदा स्वरूप को लेकर अलग अलग प्रतिक्रिया ब्यक्त किया हैं ।संतल आदिबासी धर्म समाज के राजा मरांडी ने बताया हैं कि सूबे के आदिबासी समाज 31 प्रकार के गोस्टी में विभक्त हैं ।राज्य के आदिबासीयो का सबसे बड़ा गोस्टी संताल हैं । दूसरे स्थान पर उराव एबं तीसरे स्थान पर हैं मुंडा जाति हैं ।संताल परगना छेत्र के कद्दावर नेता श्री मरांडी ने आगे बताया हैं कि सरना मुंडा जाति का पूज्य स्थल हैं, वही जाहेर थान संताल जाति का पूज्य स्थल हैं ।आदिबासी धर्म कोड के नामकरण में सबसे अधिक आबादी संतालों का पूज्य स्थल का नाम जोड़ने के बदले कम आबादी के पूज्य स्थल का नाम जोड़ा गया हैं ।उन्होंने सिर्फ आदिबासी धर्म कोड शब्द का प्रयोग करने की मांग किया हैं ।बताया हैं कि सरना को यदि समुदाय माना जाय तो क्या अब सूबे के अन्य धर्म मानेबले आदिबासी अपना धर्म कोड मे हिन्दू आदिबासी, मुस्लिम आदिबासी, ईसाई आदिबासी शब्द का प्रयोग करेगा ।उन्होंने नामकरण को लेकर पुनर्बिचार कर आदिबासी धर्म कोड शब्द लिखने की मांग किया हैं ।
गौतम चटर्जी, ग्राम समाचार, रानीश्वर (दुमका)
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