आज ग्रामीणों ने बैठक कर इसका पुरजोर विरोध किया. सरसाबाद के ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे ही हर वर्षा में नदी का पानी गांव के खेत में आ जाता है।
वर्ष 2000 और 2002 में बाढ़ के आने से एक टोला पूर्ण रूप से डूब गया था। जिसे नया रूप से निचे टोला में ग्रामीणों ने बसाया ग्रामीणों का कहना है कि सरसाबाद और बाबूपुर गांव के बीच मयूरआक्षी नदी के सहायक जोरिया में तीन-तीन चैक डैम के बनने से ही ग्रामीणों का जमीन ख़राब हो गया। क्योकि चैक डैम में मिटटी/गाद भर गया है अब पानी चैक डैम के बगल से कई खेतो से होकर गुजर रही है। इससे खेत का कटाव हो रहा है। यह चैक डैम बाबूपुर और सरसाबाद गांव के सीमा में पड़ता है। आगे ग्रामीण कहते है कि विकास के नाम हम ग्रामीणों का जमीन पहले ही रेल मार्ग में चला गया है और वियर(डैम) के बनने से नदी का जल स्तर बढ़ने से खेती योग्य जमीन का डूबने का डर भी है,ये खेती योग्य जमीन भी डूब जायेगा तो हम ग्रामीण क्या खायेगे और कहाँ रहेगे। ग्रामीणों ने सर्व सम्मति से यह निर्णय लिया कि जान दे देगे लेकिन वियर(डैम) नही बनने देगे। सर्वसम्मति से ग्रामीणों ने यह भी निर्णय लिया है कि बहुत जल्द ही ग्राम सभा कर उपायुक्त,विधायक,मुख्यमंत्री और सांसद को लिखित आवेदन देकर अवगत करायेगे। इस बैठक ग्राम प्रधान विलियम मरांडी,वार्ड सदस्य फूल जोबा बास्की,मुंशी मुर्मू,रुपय टुडू,राजेश सोरेन,मिजेश सोरेन,सोम मरांडी,दिलीप मुर्मू,पैकू सोरेन,सोहबती मुर्मू,बीटी हेम्ब्रोम,जमीन बास्की,सृजोल बास्की,संजलह मुर्मू,बीटी मुर्मू आदि उपस्थित थे।-ग्राम समाचार, दुमका।
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