ग्राम समाचार, पाकुड़। स्थानीय विधायक प्रो.स्टीफन मरांड़ी कार्यकार्ताओं संग पाकुडिया स्थित सिद्धो कान्हू चौक पहुंच सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मास्क पहनकर सिद्धो-कान्हू की प्रतिमा पर माल्यापर्ण कर के श्रद्धाजंलि दिया उसके पश्चात विधायक प्रो. मरांडी जी ने अपने कहा की सिदो-कान्हू ने 1855-56 मे ब्रिटिश सत्ता, साहुकारो, व्यपारियों व जमींदारो के खिलाफ एक विद्रोह कि शुरूवात कि जिसे संथाल विद्रोह या हूल आंदोलन के नाम से जाना जाता है। संथाल विद्रोह का नारा था करो या मरो अंग्रेजो हमारी माटी छोड़ो । सिदो मुर्मू ने अपनी दैवीय शक्ति का हवाला देते हुए सभी मांझीयों को साल की टहनी भेजकर संथाल हुल में शामिल होने के लिए आमंत्रन भेजा। 30 जून 1855 को भोगनाडीह में संथालो आदिवासी की एक सभा हुई जिसमें 30,000 संथाल एकत्र हुए जिसमें सिदो को राजा, कान्हू को मंत्री, चाँद को मंत्री एवं भैरव को सेनापति चुना गया। संथाल विद्रोह भोगनाडीह से शुरू हुआ जिसमें संथाल तीर-धनुष से लेस अपने दुश्मनो पर टुट पड़े । जबकि अंग्रेजो मे इसका नेतृत्व जनरल लॉयर्ड ने किया जो आधुनिक हथियार और गोला बारूद से परिपूर्ण थे इस मुठभेड़ में महेश लाल एवं प्रताप नारायण नामक दरोगा कि हत्या कर दि गई इससे अंग्रेजो में भय माहौल बन गया फिर सिदो कान्हू और अंग्रेजो के बीच भंयाकर लडाई हुई जिसमें सिद्धो कान्हू की हार हुई सिद्धो को पकड़ कर पंचकठिया नामक जगह पर बरगद के पेड़ पर फांसी दे दि गई वह पेड़ आज भी पंचकठिया में स्थित है जिसे शहीद स्थल कहा जाता है जबकि कान्हू को भोगनाडीह में फांसी दे दी गई पर आज भी वह संथालो के दिलो में जिन्दा है एवं इन शहीदों को प्रत्येक वर्ष याद किए जाते है कहा जाता है संथालो के इस हार पर भी अंग्रेजी हुकूमत को जड़ से हिला कर रख दिया था। कार्ल मार्क्स ने इस विद्रोह को ‘भारत का प्रथम जनक्रांति’ कहा था। आज भी 30 जून को भोगनाडीह में हूल दिवस पर सरकार द्वारा विकस मेला लगाया जाता है एवं वीर शहीद सिदो-कान्हू को याद किया जाता है। श्रद्धांजलि देने वालो में प्रखंड अध्यक्ष मोतीलाल हॉसदा,इनानुएल मुर्मू,हरिबंश चौबै,जुली हेम्ब्रम,मेहलाईल अंसारी,खुर्शीद आलम,हारून रशीद,निवारन मरांडी,कालीदास टुडू,मईनुदीन अंसारी,अशोक भगत,जहीरूद्दीन अंसारी, मनेजर टुडू,नेजाम अंसारी,नजरूल इस्लाम,मुसारफ हुसैन,विनोद भगत,मन्टू भगत,विश्वजीत दास ,विश्वनाथ मुर्मू, सहित अन्य कार्यकर्ता मौजूद थे।
ग्राम समाचार, विशाल कुमार भगत पाकुड़िया
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