Rewari News : पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता कैप्टन अजय यादव को मातृशोक


ग्राम समाचार न्यूज़ : रेवाडी : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व मंत्री कैप्टन अजय यादव की माता श्रीमती शांति देवी का आज बुधवार को निधन हो गया वे 94 वर्ष की थी। शांति देवी रेवाडी के प्रथम विधायक राव अभय सिंह की धर्मपत्नि और रेवाडी विधायक चिरंजीव राव की दादी थी। उनका अंतिम संस्कार गांव सहारनवास में किया गया कोरोना की वजह से कुछ लोग ही शामिल हो पाए। गांव नागल पठानी में डा. शिव सहाय के घर जन्मी शांति देवी का विवाह स्वर्गीय राव अभय सिंह से 7 मई 1943 को हुआ था। वे अपने पीछे 3 पुत्र और 2 पुत्रियो समेत भरा पूरा परिवार छोड कर गई हैं। उनके बड़े पुत्र अजित सिंह गांव में नंबरदार है दूसरे पुत्र कैप्टन अजय सिंह यादव है जो रेवाडी से 6 बार विधायक व हुड्डा सरकार में वित्त, बिजली वन एवं पर्यावरण मंत्रालयों का कार्यभार संभाला चुके है। जबकि तीसरे पुत्र अनिल राव हैं उनकी पुत्रियों में एक पूर्व जस्टिस निर्मल यादव व दूसरी पुत्री मिनाक्षी यादव हैं। कैप्टन अजय सिंह यादव ने अपनी माता जी के निधन पर दुख: प्रकट करते हुए कहा कि धरती पर माँ से बडा कोई नही है माँ अपने बच्चों को अपनी जान से भी ज्यादा चाहती है। हमारी माँ जी की भी हमारे पूरे परिवार पर छतर छाया रही और पूरे परिवार को बांध कर रखा। कैप्टन ने बताया कि माँ वह है जो हमें जन्म देने के साथ ही हमारा लालन-पालन भी करती हैं। माँ के इस रिश्तें को दुनियां में सबसे ज्यादा सम्मान दिया जाता है। यहीं कारण है प्राय: संसार में ज्यादतर जीवनदायनी और सम्माननीय चीजों को माँ की संज्ञा दी गयी है जैसे कि भारत माँ, धरती माँ, गौ माता आदि। इसके साथ ही माँ को प्रेम और त्याग की प्रतिमूर्ति भी माना गया है। इतिहास कई सारी ऐसे घटनाओं के वर्णन से भरा पड़ा हुआ है। जिसमें मताओं ने अपने संतानों के लिए विभिन्न प्रकार के दुख सहते हुए अपना सर्वस्व न्यौछावर कर दिया। यही कारण है कि माँ के इस रिश्तें को आज भी संसार भर में सबसे सम्मानित तथा महत्वपूर्ण रिश्तों में से एक माना जाता है। वहीं राव अजीत सिंह, अनिल राव, मीनाक्षी यादव व निर्मल यादव ने कहा कि माँ एक ऐसा शब्द है, जिसके महत्व के विषय में जितनी भी बात की जाये कम ही है। हम माँ के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नही कर सकते हैं। माँ के महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इंसान भगवान का नाम लेना भले ही भूल जाये लेकिन माँ का नाम लेना नही भूलता है। माँ को प्रेम व करुणा का प्रतीक माना गया है। एक माँ दुनियां भर के कष्ट सहकर भी अपने संतान को अच्छी से अच्छी सुख.सुविधाएं देना चाहती है। एक माँ अपने बच्चों से बहुत ही ज्यादे प्रेम करती हैए वह भले ही खुद भुखी सो जाये लेकिन अपने बच्चों को खाना खिलाना नही भूलती है। हर व्यक्ति के जीवन में उसकी माँ एक शिक्षक से लेकर पालनकर्ता जैसी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाती है। यही कारण है कि हमारे जीवन में माँ के इस रिश्ते को अन्य सभी रिश्तों से इतना ज्यादे महत्वपूर्ण माना गया है।  
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Editor - राजेश शर्मा : रेवाड़ी (हरि.) - 9813263002

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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