Nala News (Jamtara) काजू फल का प्रोसेसिंग प्लांट नही लगने से फल हो रहे नष्ट ग्रामीण चोरी छिपे फल को 10 से 15 रुपये की दर से बेचते हैं


ग्राम समाचार नाला:
50 हेक्टयर में फैले बागान में 25 हजार पेड़ फल से लदे हैं, नाला का काजू उत्पादन में राज्य में दूसरा स्थान
जामताड़ा के नाला प्रखंड काजू फल के लिए विख्यात है. नाला के काजू फल अच्छी क्वालिटी के माने जाते हैं.  50 हेक्टेयर में बागान फैला हुआ है. जिसमें 25000 पेड़ फल से लदे हुए हैं. इस वर्ष काजू की अच्छी उपज भी हुई है. लेकिन लॉक डाउन के  कारण फल को तोड़ने के लिए मजदूर नहीं मिल रहे हैं. जमीन पर  फल गिर कर नष्ट हो रहे हैं. बंदोबस्ती लेने वाले ठेकेदार को मजदूर नहीं मिलने से निराशा है. साथ ही काजू फल की चोरी होने से भी चिंतित है.  ठेकेदार के अनुसार चोरी की रोकथाम के लिए प्रशासन से कोई मदद नहीं मिलती है.

बंगाल के ठेकेदार ने ली है बंदोबस्ती
बंगाल के बीरभूम जिला के असित दे के नाम से बंदोबस्ती की गई है। सालाना 88 हजार 125 रुपये में तीन साल के लिए बंदोबस्ती की गई है।

25 वर्षों से काजू बागान उपेक्षित

नाला के काजू बागान 25 वर्षों से उपेक्षित है. नाला में प्रोसेसिंग प्लांट नही है। फल को प्रोसेस्सोंग के लिए  बंगाल के ले जाते है. इससे ठेकेदार को तीन गुना अधिक खर्च पड़ जाती है.

काजू उत्पादन में राज्य में नाला का दूसरा स्थान
काजू फल उत्पादन में नाला प्रखंड के राज्य में दूसरा स्थान है.
 नाला प्रखंड काजू उत्पादन के लिए अनुकूल है. काजू की खेती के लिए अनुकूल है . जमशेदपुर, बहरागोड़ा व नाला प्रखंड बंगाल सीमा क्षेत्र में होने के कारण काजू के लिए अनुकूल माना जाता है.

बंदोबस्ती के ठेकेदार ने बताई पीड़ा
काजू बागान की बंदोबस्ती के ठेकेदार असित दे ने कहा काजू फल की चोरी दिनों दिन हो रही है . प्रशासन की ओर से सुरक्षा की व्यवस्था नहीं है. इस साल निवेश पूंजी भी लौटना मुश्किल है.  मजदूर मिल नहीं रहे हैं. पके फल को  प्रोसेसिंग प्लांट तक पहुंचाने में चुनौती है. तत्कालीन डीसी रमेश कुमार दुबे ने प्लांट लगाने का आश्वासन दिया था. लेकिन इस दिशा में अब तक कोई कार्यवाही नहीं हो रही है.

ग्रामीण ओने पौने दाम में बेचते फल
चोरी-छिपे काजू फल को ग्रामीणों ने ओने पौने दाम में बेच देते हैं. फल सहित बीज को ग्रामीण 10 से ₹15 किलो की दर से बेच देते हैं. नाला में प्रोसेसिंग प्लांट होता तो काजू के फल औने पौने दाम में बिक्री नहीं होती. ग्रामीणों को उचित मूल्य भी मिलता.  लेकिन प्लांट नहीं लगने के कारण फल की अहमियत लोगों में नहीं है. स्थानीय दुकानदारों को 10 से ₹15 की दर से बेच देते हैं. इससे सरकार को भारी राजस्व की क्षति हो रही है.
अनवर हुसैन, ग्राम समाचार, नाला
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Editor - रोहित शर्मा, जामताड़ा

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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