Pathargama News: 21 वीं सदी की दौर में आज भीआदिम यूग में जी रहा है आदिवासी बहुल गांव कसियातरी



ग्राम समाचार पथरगामाः- प्रखंड मुख्यालय से महज 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित माछीटांड़ पंचायत का आदिवासी बहुल गांव कसियातरी आज भी आदिम युग में जी रहा है।आज तक इस गांव में प्रवेश करने के लिए बना कच्ची सड़क को पक्की सड़क में बदला नहीं जा सका है।बहुत पहले चौबे बगीचा होते हुए ग्रेड-1 सड़क बना था।अब वह भी जर्जर हो चुका है सड़क में बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं।बरसात के दिनों में आवागमन लगभग ठप रहता है।लसोतीया गांव होते हुए भी इस गांव में आया जा सकता है।यह संपर्क पथ महज 100 मीटर का है।इस संपर्क पथ को भी पक्की सड़क में बदला नहीं जा सका है।यह संपर्क पथ भी गड्ढों से भरा हुआ है।बरसात में इस सड़क होकर गांव में प्रवेश करना बिल्कुल असंभव हो जाता है।मजबूरी में लोगे खेतों की मेड़ होकर आवागमन करते हैं।बरसात के दिनों में अगर कोई बीमार पड़ गया तो उसे खाट पर लादकर अस्पताल पहुंचाया जाता है।इस स्थिति में बुजुर्ग और गर्भवती महिलाओं को भारी परेशानी झेलनी पड़ती है।गांव में बिजली है परंतु चापाकल की कमी है।सरकारी आवास योजना यहां के गरीबों के लिए दिवास्वप्न बनकर रह गया है।बरसों पूर्व कुछ लोगों को इंदिरा आवास का लाभ मिला था।अब वह भी जर्जर हो चला है।यहां पर अनेकों ऐसे बुजुर्ग मिल जाएंगे जिन को सरकार की तरफ से राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन मिलता है और ना ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन।सड़क की जर्जर स्थिति के चलते स्वास्थ्य कर्मी भी यहां आने से कतराते हैं।कुल मिलाकर यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि जिनके सपनों को साकार करने के लिए झारखंड राज्य का स्थापना हुआ आज उन्हीं का सपना,सपना ही बनकर रह गया है।
    अमन राज पथरगामा
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Editor - भुपेन्द्र कुमार चौबे

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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