हँसती आंखों में झांक कर देखो... कोई आंसू कहीं छुपा होगा



किताबों से हटकर आपके आसपास भी कुछ अनकही दास्तान घूमती रहती हैं और वर्षों से एक दूसरे से परिचित होने के बाद भी उनके दर्द भरे अतीत को आप पढ़ भी नहीं पाते, क्योंकि उनकी खुद्दारी कहीं न कहीं उन्हें रोकती रहती है अपने हाले दिल को बयां करने से।

अजबऐसे ही कुछ अनकही कहानियों के एक पात्र से मिलते हैं -जिनका नाम है आलोक।

फिलहाल ये महागामा ब्लॉक में प्रभारी प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं।

केवल 13 साल की उम्र में इनके पिता की मृत्यु के बाद घर में मां, दो छोटी बहन और एक छोटे भाई की परवरिश की जिम्मेदारी इन्हें विरासत में मिली, जिन्हें निभाना अपनी कैरियर बनाने के समानांतर एक चुनौतीपूर्ण कार्य था।

अपने पारिवारिक जिम्मेदारियों को संभालते और अपने छोटे भाई की कैरियर को फैशन डिजाइनर के रूप में उड़ान देते देते इतना विलंब हो चुका था की यूपीएससी आईएएस की तैयारी के लिए  जब दिल्ली पहुंचे तो उनके पास अवसर और उम्र के हिसाब से केवल 2 साल बचे थे।

इनकी मेहनत और संस्कार ने इन्हें इनके सपने- नई दिल्ली के धौलपुर हाउस में  पहुंचने का सौभाग्य दिया और संघ लोक सेवा आयोग यूपीएससी के एक साक्षात्कार में शामिल होने का मौका 2009 में मिला,  इसमें इनके साथ तत्कालीन अनुमंडल अधिकारी गोड्डा श्री हर्ष मंगला भी शरीक थे ।

पर नियति को कुछ और ही स्वीकार था। इन से कम नंबर लाने वाले कई बंदे आज एलाइड सर्विसेज में सेवारत हैं लेकिन वर्तमान  व्यवस्था इनके क्षमताओं को अपनी मजबूरियों के कारण आत्मसात  ना कर सका।

कहते हैं विधि का विधान पीछा नहीं छोड़ती, छठी जेपीएससी के मुख्य परीक्षा में दो पेपर देने के बाद ही बहन के ब्रेन हेमरेज की खबर पाते ही परीक्षा बीच में छोड़कर उनके इलाज के लिए आलोक को दुर्गापुर निकलना पड़ा।

फिलहाल महागामा प्रखंड के प्रभारी प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के रूप में कार्यरत हैं और वर्तमान में अपने नवनिर्मित प्रखंड कार्यालय के सुसज्जितकरण एवं सौंदर्यीकरण में इन्होंने पूरे समर्पण और निष्ठा के साथ अपनी बेहतरीन भूमिका अदा की है ।

प्रखंड विकास पदाधिकारी  धीरज प्रकाश इन्हें इस कार्य में  कांसेप्ट  डिजाइनर मानते हैं और कहते हैं कि आलोक अपनी क्षमताओं के अनुरूप जीवन में और ऊंचे शिखर को प्राप्त करें - यह केवल मैं नहीं बल्कि ऑफिस के सारे सहकर्मी और उनके अनुज जनसेवकों की भी दिली ख्वाहिश है।
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