ग्राम समाचार , गोड्डा। सर्वोच्च शिक्षा वही है जो संपूर्ण सृष्टि से हमारे जीवन का सामंजस्य स्थापित करती है। शिक्षा की प्रक्रिया मुक्तिपर्यंत चलती है। मनुष्य का अपने यथार्थ स्वरूप को पहचानना उसकी वास्तविक शिक्षा है। वहीं शिक्षक सफल माना जाता है जो अपना अध्ययन चिंतन मनन कभी भी बंद नहीं करता है। शिक्षा मानव विकास का सर्वोत्तम साधन है। उक्त बातें धीरज प्रकाश, प्रखंड विकास पदाधिकारी महागामा ने होली की पूर्व संध्या पर नेशनल इनीशिएटिव फॉर स्कूल हेड एंड टीचर्स हॉलिस्टिक एडवांसमेंट (निष्ठा) प्रशिक्षक दल के साथ अपने भेंट वार्ता में कही।
इस दौरान परिवर्तनकारी शिक्षक रीतेश रंजन ने उन्हें संविधान की हिंदी और अंग्रेजी में द्विभाषी संस्करण की पुस्तक भेंट करते हुए कहा कि शिक्षा मनुष्य की आंतरिक शक्तियों का स्वाभाविक सर्वांगीण और प्रगतिशील विकास है। शिक्षा एक गतिशील प्रक्रिया है।
आगे श्री धीरज प्रकाश ने कहा कि गुरु दक्षिणा की जगह गुरु से ही दक्षिणा स्वरूप पुस्तक पाकर मैं अभिभूत हूं।
इस अवसर पर मुख्य संसाधन सेवी मुरारी प्रसाद शर्मा, राजेंद्र पंडित एवं निलेश कुमार उपस्थित थे।
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