Bhagalpur News:शाह मंजिल शाहमार्केट में कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन, इंसानियत का पैगाम आम करने की जरूरत : पूर्व आयुक्त, " चलो ये माना जमाना है आँधियों का मगर, दिया जलाने की कोशिश जरूर करते रहो"

संबोधित करते शाह फखरे हसन
ग्राम समाचार, भागलपुर। शाह मंजिल शाहमार्केट में अखिल भारतीय कवि सम्मेलन सह मुशायरा का आयोजन किया गया। जिसमें पूरे देश के विभिन्न राज्यों से करीब 50 से अधिक शायरों ने मानवता का संदेश शीर्षक पर अपना कलाम पेश किया। देर रात तक लोगों ने शेरों शायरी का जम कर लुत्फ उठाया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए खानकाह-ए-पीर दमडिया के साहबे सज्जाद सैयद शाह फखरे आलम हसन ने कहा कि कार्यक्रम का मकसद प्रेम व सद्भावना और मानवता का पैगाम देना है। आज देश में इंसानियत और लोगों से मोहब्बत करने का संदेश देने की बहुत ज्यादा आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि देश की आंतरिक शक्ति तमाम धर्मों के मानने वालों के बीच प्रेम और भाईचारा का पाया जाना है। इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश से आए पूर्व सूचना आयुक्त हाफिज उस्मान ने कहा कि आज हर तरफ नफरत का माहौल फैला हुआ है उसे खत्म करने के लिए मानवता का संदेश और इंसानियत का पैगाम आम करने के लिए इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन पूरे मुल्क में होने की जरूरत है। उन्होंने खानकाह-ए-पीर दमड़िया और यहां के लोगों द्वारा मिले सम्मान पर लोगों का शुक्रिया अदा किया और कहा कि आज हिन्दू मुस्लिम, सिक्ख और ईसाई सभी लोगों के बीच पूरा सौहार्द बना रहे। यह देश की जरूरत है।
शायर और कवियों को सम्मानित करते 
इस मौके पर गुरुद्वारा कमिटी के सचिव त्रिलोचन सिंह ने कहा कि खानकाह-ए-पीर दमडिया द्वारा हमेशा से देश की एकता व अखंडता के लिए काम किया जाता है। इस पर हम खानकाह-ए-पीर दमडिया को दिल से मुबारकबाद पेश करते हैं। खानकाह-ए-पीर दमडिया के 14वें सज्जादानशीं सैयद हसन मानी ने कहा कि मजहब नहीं सीखाता आपस में बैर रखना। उन्होंने कहा कि हम सब एक अल्लाह के बंदे है और सारे इंसान एक ही माता पिता  की संतान है। आपस में नफरत करना इंसान का काम नहीं है तथा नफरत फैलाने वालों  से सावधान रहने की जरूरत है। लखनऊ से आए डा. रिजवानुर रजा अलीग ने " आई है मेरे दिल से सदा सब्र कीजिए, एक दिन करेंगे वो भी वफा सब्र कीजिए "। " गुमराह कर दिया है जिन्हें रहबरों ने खुद, मंजिल का पाएंगे वो पता सब्र कीजिए "। पेश कर लोगों का दिल जीत लिया।  कोलकाता से आए जमीर यूसुफ ने" फजां में अमन हो रंग हो खुशबू हो, दिलों को गरदो कदूरत को दूर करते रहो"।" चलो ये माना जमाना है आंधियों का मगर, दिया जलाने की कोशिश जरूर करते रहो"। कलीम दानिश ने तरन्नुम में शेर पेश कर लोगों को झूमने पर विवश कर दिया कहा " मेरे महबूब दुश्मन को मेरा पैगाम दे देना, जरा सी चोट से ये दिल का शिशा टूट जाता है "। कामेश्वर कुमार ने कहा " शामों शहर ये गीत गाता ही रहा हूँ, पैगाम-ए-मोहब्बत को सुनाता ही रहा हूं "। " अंजाम बुरे काम का अच्छा नहीं होता, ये बात हर किसी को बता रहा हूं"। सुनकर लोग झूम उठे। पटना से आए डीआईजी अनिल कुमार सिंह ने कहा" वो जो शम्सओ कमर से मुल्क को जुगनू समझते हैं, न वो हिन्दी समझते हैं न वो उर्दू समझते हैं "।" जिसे वो कहते हैं हिन्दू मुसलमान सीख ईसाई, उसे हम सर जमीने हिन्द की खुशबू समझते हैं "। कलाम सुना कर लोगों ने खूब दाद लिया।
कलाम पेश करते शायर
देर रात चली मुशायरा का लोगों ने जमकर आनंद लिया। इस मौके शंकर कैमूरी, अशरफ याकूबी, डा. गुलाम सरबर अशर्फी, जाकिर हुसैन, शुशिल साहिल, शम्स तबरेज, डा. एहसान शाम,  अरविन्द अंसुमन, मो. फैज, मंजर इमाम, अनिल कुमार सिंह, सब्बीर वारसी ने अपने अपने अंदाजा में कलाम पेश किया।
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Editor - Bijay shankar

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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)

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