नतीजे किसी भी तरह से हैरत में डालने वाले नहीं हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ सीनेट में महाभियोग की जो प्रक्रिया चल रही थी, उसमें ट्रंप की जीत और आरोपों की हार पहले से ही तय थी। पूरी प्रक्रिया जिस तरह से चल रही थी, उसमें शुरू से ही यह साफ था कि आरोप महत्वपूर्ण नहीं हैं, सच और झूठ भी महत्वपूर्ण नहीं हैं, अंत में सारा फैसला पार्टी लाइन पर होना है। सीनेट में ट्रंप की रिपब्लिकन पार्टी का बहुमत है, इसलिए प्रस्ताव का गिरना तय ही था। सिर्फ एक रिपब्लिकन सदस्य मिट रोमनी ही शुरू से ट्रंप का विरोध कर रहे थे। सीनेट में बुधवार को जब महाभियोग के दो आरोपों पर अलग-अलग मतदान हुआ, तो एक में उन्होंने ट्रंप के खिलाफ वोट दिया, जबकि दूसरे में उनका वोट भी पार्टी लाइन के हिसाब से पड़ा।
राष्ट्रपति के खिलाफ एक आरोप यह था कि उन्होंने यूक्रेन की सरकार पर पूर्व अमेरिकी उप-राष्ट्रपति जो बिडेन और उनके बेटे के खिलाफ जांच के लिए अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डाला, और दूसरा आरोप यह था कि जब अमेरिकी कांग्रेस ने इस मामले की जांच करनी चाही, तो उन्होंने इस जांच में बाधा डाली। ये ऐसे आरोप हैं, जिन पर अमेरिका में पिछले कई महीनों से चर्चा चल रही है। अमेरिकी मीडिया का एक बड़ा तबका इस आरोप को सच भी मानता रहा है। यह बात महाभियोग प्रस्ताव के गिरने के बाद अमेरिका में दिख रही प्रतिक्रिया से साफ है।
हालांकि यह मामला सिर्फ महाभियोग का नहीं है। इससे भी एक राजनीति जुड़ी हुई है। अमेरिकी राष्ट्रपति पद का अगला चुनाव अब बहुत दूर नहीं है और विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी इस महाभियोग के बहाने सत्ता में अपनी वापसी का रास्ता तैयार करना चाहती है। शुरू से ही वह यह मानकर चल रही थी कि इस पूरी प्रक्रिया से उसे डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ माहौल बनाने में मदद मिलेगी। माना जाता है कि उसे इस काम में कुछ हद तक सफलता भी मिली है। हालांकि अभी यह कह पाना संभव नहीं है कि चुनाव पर इसका कितना असर होगा, या मतदान तक उसके बनाए माहौल का कितना असर बचा रह पाएगा। वह भी तब, जब जीत का सेहरा आखिरकार डोनाल्ड ट्रंप के सिर पर ही बंधा है। जाहिर है, महाभियोग प्रस्ताव गिरने के बाद अब वह दोगुने जोश से अपने चुनाव अभियान पर निकल जाएंगे। अपने जिन बड़बोले बयानों के लिए वह प्रसिद्ध रहे हैं, उनमें अब और इजाफा होगा। कुछ हद तक असर दिखने भी लगा है। इसे महाभियोग प्रस्ताव के गिरने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति भवन, यानी व्हाइट हाउस की इस प्रतिक्रिया में भी देखा जा सकता है- अमेरिकी राष्ट्रपति को खुशी है कि उन्होंने डेमोक्रेट के शर्मनाक व्यवहार को अतीत की चीज बना दिया है।
हालांकि डोनाल्ड ट्रंप चुनावी मैदान में सिर्फ महाभियोग मामले में अपनी जीत के भरोसे नहीं उतरेंगे। फिलहाल उनके पास अपनी सफलताएं बघारने के लिए भी बहुत कुछ है। उनकी आक्रामक आर्थिक नीतियों की वजह से अमेरिकी अर्थव्यवस्था की स्थिति पिछले कुछ समय में सुधरी है और सबसे बड़ी बात यह है कि बेरोजगारी दर भी पहले के मुकाबले कम हुई है। हालांकि इन नीतियों के मुकाबले चर्चा अक्सर डोनाल्ड ट्रंप की मौखिक आक्रामकता की ही होती रही है। महाभियोग के खिलाफ दिए गए उनके ऐसे ढेर सारे बयान भी इसमें जुड़कर इतिहास की चीज बन गए हैं।
सौजन्य - हिन्दुस्तान।

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