ग्राम समाचार, भागलपुर। माघी पूर्णिमा को लेकर रविवार को जिले के विभिन्न स्थानों पर कई कार्यक्रम हुए। कहीं भगवान सत्यनारायण की पूजा हुई, कहीं नरहरि सोनार जयंती पर अष्टायाम, तो कहीं अन्य धार्मिक अनुष्ठान हुआ। सुबह से ही विभिन्न गंगा घाटों बरारी सीढ़ी घाट, बरारी पुल घाट आदि पर गंगा स्नान के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही। वहीं शहर के विभिन्न मंदिरों बूढ़ानाथ, शिवशक्ति मंदिर, भूतनाथ, कुपेश्वरनाथ आदि में लोगों ने विधि-विधान से पूजा-अर्चना की। शहर के घंटाघर, मंदरोजा, नयाबाजार आदि स्थानों पर भगवान सत्यनारायण की पूजा प्रतिमा स्थापित कर की गयी। महिलाओं व भक्तों ने भगवान सत्यनारायण की कथा का श्रवण किया। इसके बाद श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद का वितरण किया गया। उधर माघी पूर्णिमा के मौके पर रविवार को हजारों श्रद्धालुओं ने कहलगांव और बटेश्वर स्थान में उत्तरवाहिनी गंगा में पवित्र स्नान किया साथ ही मेला का लुत्फ उठाया। इस दौरान बटेश्वर स्थित प्राचीन शिव लिंग विग्रह पर श्रद्धालुओं ने जलाभिषेक किया तो बटेश्वर के निकट प्राचीन आशावरी देवी मंदिर में भगत साधना की परीक्षा दी। उधर सुल्तानगंज के उत्तरवाहिनी गंगा तट पर माघी पूर्णिमा को लेकर गंगा स्नान करने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मान्यता है कि आज के दिन गंगा स्नान का खाशा महत्व है। यही वजह है कि बिहार, बंगाल, नेपाल, युपी, झारखंड सहित देश के विभिन्न हिस्सों से आए श्रद्धालु गंगा का स्नान कर रहे हैं। वही माघी पुर्णिमा के मौके पर झारखंड बिहार सहित पास पड़ोस से आएं यात्रियों ने अपने बच्चों का मुड़न संस्कार भी कराया। झारखंड के हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा और चतरा से आए यात्रियों ने हजारों बच्चे का मुंडन संस्कार कराया। वहीं उत्तर बिहार से आए कांवरिया श्रद्धालु भारी संख्या में गंगा स्नान करने सुल्तानगंज पहुंचते हैं। हजारों श्रद्धालु गंगा स्नान करने के बाद पैदल देवघर भी रवाना हुए। वहीं सुरक्षा की बात करें तो सुलतानगंज थाना अध्यक्ष रामप्रीत कुमार मेला को लेकर यात्रियों को किसी भी प्रकार की कठिनाई ना हो उसको लेकर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। जगह-जगह महिला व पुरुष बल की तैनाती की गई है। जिसका मॉनिटरिंग खुद थाना अध्यक्ष रामप्रीत कुमार कर रहे थे। माघी पूर्णिमा को लेकर सुल्तानगंज के वार्ड संख्या 17 आदर्श नगर स्थित जिचछो माता रानी स्थान पोखर में दूरदराज से सैकड़ों की संख्या में आए श्रद्धालुओं ने अपने अपने बच्चों का मुंडन संस्कार कराया। लोक कंठ से पता चला कि इस पोखर का संबंध महाभारत काल के समय से ही है। बिना आदेश के धर्मराज युधिष्ठिर के चारों भाई ने बिना आदेश के इस पोखर का जल ग्रहण किया था। जिसके कारण वह चारों भाई मुरक्षित हो गए थे। इस पोखर की रखवाली मधु और केटब नामक राक्षस करते थे। बिना इनके आदेश के इस पोखर का जल पीने से चारों भाई मुरक्षित हो गये थे। तभी यहां प्रकट हो कर यक्ष प्रश्न धर्मराज युधिष्ठिर से पुछा था जो महाभारत में चौदह दिनों तक धर्मराज युधिष्ठिर यक्ष के सारे प्रश्न का जवाब देकर अपने चारों भाईयों को जीवित या जीवन पाने के लिए यक्ष ने कहा कि तुम सूर्य का पहली किरण जैसे ही इस पोखर पर पड़े वैसे ही तुम भगवान श्री हरि को स्मरण कर अपने भाईयों को जीवीत प्राप्त कर सकुशल यहां से विदाई लिया था। इस जगह के कुश घास का भी बहुत महत्व है। पुरोहित यहां से कुश लेकर शादी विवाह या अन्य संस्कार के कार्य में उपयोग करते हैं। गौरतलब है कि जिचछो पोखर स्नान कर महिलाएं का मरोक्षी दुर होता है। इस पोखर में स्नान करने से सभी महिलाएं की मन्नतें पुरी होती है तब यहां आकर बच्चों का मुडंन संस्कार कराना होता है।
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Bhagalpur News:माघी पूर्णिमा को लेकर श्रद्धालुओं ने गंगा में लगाई आस्था की डुबकी
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