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| बरामद अवशेष |

ग्राम समाचार, भागलपुर। पुलिस जिला नवगछिया के बिहपुर के गुवारीडीह से बरामद अवशेष द्वितीय नगरीकरण के माने जा रहे हैं। इतिहासकारों और पुरातत्वविदों की टीम ने गुवारीडीह के अवशेषों को देखकर इसकी प्रामाणिकता पर मुहर लगा दी है। टीम ने सभी अवशेषों को काल खंडों के अनुसार अलग अलग छ: भागों में विभक्त किया। इसमें एक हजार ईपू यानी तीन हजार वर्ष पहले के सामनों में सिक्के और मिट्टी के कई तरह के मिट्टी के बर्तनों को शामिल किया गया है। इसमें 2400 वर्ष पहले के अनुमानिक अवशेषों में पत्थर के सामान, पत्थर का मुहर और मिट्टी के सामान दोनों हैं। अधिकांश सामान पत्थर के हैं इसमें अलग किये गये अवशेष गुप्त काल के बताये जा रहे हैं। दूसरी तरफ दो हजार वर्ष पुराने सामानों जैसे ईंट और अन्य तरह के मिट्टी के औजारों को भी इसमें शामिल किया गया। जो कुषाण कालीन बताये जा रहे हैं। बरामद जनवरों के हड्डियों और दांतों के बारे में इतिहासकारों ने बताया कि कार्बन पद्धति से उक्त हड्डियों और दांतों के जीवंत काल का पता लगाया जा सकता है। तिलकामांझी भागलपुर विश्व विद्यालय के प्राचीन इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग के विभागध्यक्ष प्रो बिहारी लाल चौधरी ने बताया कि सामानों को एक प्रक्रिया के बाद इसे विभाग के म्युजियम में भी रखवाया जा सकता है। जहां से शोधार्थी के साथ साथ इन अवशेषों में दिलचस्पी रखने वाले लोग देख सकेंगे और अध्ययन कर सकेंगे। दूसरी तरफ गुवारीडीह की खोदाई करने की आवश्यकता है इसके लिए सबसे पहले ग्रामीणों को तैयार होना होगा। वहीं गुवारीडीह का पता लगाने वाले और सामानों का संग्रह करने वाले अविनाश कुमार चौधरी ने बताया कि वे अवशेषों को म्युजियम में रखवाने के लिए पूरी कोशिश करेंगे। इतिहासकारों की टीम ने अविनाश को अवशेषों के रख रखाव के बारे में भी बताया। उधर डीडीसी के निर्देश पर बिहपुर के सीओ रतनलाल ने ऐतिहासिक बिहपुर के जयरामपुर गांव के गुवारीडीह में मिले पुरातन अवशेषों का ने अवलोकन किया। जयरामपुर गांव में अंचलाधिकारी ने अविनाश कुमार चौधरी के मुर्गा फार्म पर रखे अवशेषों का सूक्ष्मता पूर्वक अवलोकन किया और सभी प्रकार के अवशेषों को एक सूची भी तैयार की। अंचलाधिकारी ने कहा कि सभी अवशेष काफी पुराने हैं और कोसी तट से इस तरह के अवशेषों का मिलना आश्चर्यजनक है। उन्होंने बताया कि वे अलगे दिन गुवारीडीह जा कर पुरातात्विक स्थल का सर्वेक्षण करेंगे। इसके बाद फिर रिर्पोट तैयार कर वरीय पदाधिकारियों को भेजेंगे। बताते चलें कि कोसी कटाव के मुहाने पर आ चुके गुवारीडीह में पुरातात्विक महत्व वाले अवशेष बिखरे पड़े हैं। लेकिन फिलहाल कोई इसे सहेजने वाला नहीं है। गुवारीडीह में कोसी कटाव से जल विलीन होते कई अदभुद चीजें सहजता से दिखायी देती है। फिलहाल इस ऐतिहासिक धरोहरों को सहेजने की जरूरत है।
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- राजीव कुमार (Editor-in-Chief)
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