Jharkhand News Update : हेमंत ने संभाली झारखंड की बागडोर, जानिए कौन हैं उनके 3 मंत्री, जानिए सबकुछ

ग्राम समाचार, रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। वे राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं। राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है। हेमंत सोरेन के अलावा कांग्रेस के विधायक आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव और आरजेडी विधायक सत्यानंद भोक्ता ने हेमंत सोरेन के साथ मंत्री पद की शपथ ली है।

शपथ ग्रहण समारोह में झारखण्ड की राज्यपाल   द्रौपदी मुर्मू, झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु   शिबू सोरेन,   रूपी सोरेन, पूर्व अध्यक्ष भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस  राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री   ममता बनर्जी, बिहार के  पूर्व उप मुख्यमंत्री  तेजस्वी यादव, राजस्थान के  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत,  छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री  भूपेश बघेल, पूर्व  राज्यसभा सांसद   शरद यादव, डीएमके के अध्यक्ष  एमके स्टालिन,  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस  नेता केसी वेणुगोपाल,  भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के  झारखंड प्रभारी  आर पी एन सिंह, बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, झारखण्ड के  पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास   सहित देशभर से  विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के कई गणमान्य नेता, सभी नव निर्वाचित विधायक, सांसदगण अन्य आगंतुक शामिल हुए।

सभी आगंतुकों ने शपथ ग्रहण के उपरांत मुख्यमंत्री   हेमंत सोरेन को अपनी शुभकामनाएं और बधाई दी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सभी आगंतुकों के प्रति आभार व्यक्त किया।

आइए जानते हैं कौन हैं हेमंत सोरेन के तीनों मंत्री - 

1.  आलमगीर आलम: 

आलमगीर आलम झारखंड में कांग्रेस विधायक दल के नेता हैं। उन्होंने पाकुड़ विधानसभा सीट से जीत दर्ज की। वे झारखंड विधानसभा के स्पीकर भी रह चुके हैं।
राजनैतिक परिवार से आने वाले आलमगीर आलम पहली बार 2000 में विधायक बने थे। आलमगीर आलम ने इस बार पाकुड़ सीट से बीजेपी प्रत्याशी बेणी प्रसाद गुप्ता को करीब 65 हजार वोटों से हराया।

2. रामेश्वर उरांव: 

रामेश्वर उरांव झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष हैं। वे लोहरदगा विधानसभा सीट से जीते हैं। उरांव केंद्र की मनमोहन सरकार में राज्य मंत्री रह चुके हैं। रामेश्वर उरांव अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं

3. सत्यानंद भोक्ता: 

सत्यानंद भोक्ता ने RJD कोटे से विधायक पद की शपथ ली है। वे झारखंड में RJD के एकमात्र विधायक हैं। इससे पहले सत्यानंद भोक्ता 2014 तक बीजेपी में थे और वे पहले भी झारखंड में मंत्री रह चुके हैं।

हेमंत सोरेन के शपथ समारोह में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी, पूर्व राज्यसभा सांसद शरद यादव, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे, सुबोध कांत सहाय, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत समेत तमाम बड़े नेता मौजूद रहे।

ताजपोशी में दिखी विपक्ष की ताकत: 

हेमंत सोरेन के शपथ ग्रहण में रांची में विपक्ष की ताकत की झलक भी देखने को मिली है। रांची में उत्तर से दक्षिण और पूरब तक के नेता शामिल हुए हैं।

शपथ समारोह के दौरान मंच पर विपक्ष के तमाम बड़े नेता मौजूद रहे। कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, ममता शनिवार को ही रांची पहुंच चुकी थीं।

इसके अलावा दक्षिण से तमिलनाडु की विपक्षी पार्टी डीएमके के अध्यक्ष स्टालिन भी, सांसद टी आर बालू, सांसद कनिमोझी भी पहुंचीं। इसके अलावा तेजस्वी यादव, शरद यादव, आप सांसद संजय सिंह भी रांची पहुंचे थे।

झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। वे राज्य के 11वें मुख्यमंत्री बने हैं। राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है। हेमंत सोरेन के अलावा कांग्रेस के विधायक आलमगीर आलम, रामेश्वर उरांव और आरजेडी विधायक सत्यानंद भोक्ता ने हेमंत सोरेन के साथ मंत्री पद की शपथ ली है।

झारखंड मुक्ति मोर्चा राज्य की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। बीजेपी को सिर्फ 25 सीटों पर जीत मिली जबकि जेएमएम के 30 विधायक जीते और महागठबंधन को कुल 47 सीटों पर जीत मिली।

हेमंत सोरेन दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री बने हैं। राज्यपाल द्रोपदी मुर्मू ने उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

हेमंत के कदम बढ़ते गये सत्ता के शिखर तक, दुर्गा सोरेन के निधन के बाद पिता का बने सहारा, संभाली राजनीतिक विरासत

हेमंत सोरेन आज झारखंड की राजनीति के शिखर पर हैं। 10 अगस्त 1975 को रामगढ़ के नेमरा गांव में हेमंत सोरेन का जन्म हुआ। वह झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अगुवा व झामुमो के अध्यक्ष शिबू सोरेन के दूसरे पुत्र हैं। माता का नाम रूपी सोरेन है। हेमंत का बचपन बोकारो में बीता।


  • उनकी आरंभिक शिक्षा बोकारो सेक्टर-4 स्थित सेंट्रल स्कूल से हुई। उनके करीबी बताते हैं कि स्कूल में भी दोस्तों के साथ वह खूब मस्ती किया करते थे।  बोकारो की सड़कों पर बेपरवाह साइकिल चलाते थे।1989 में हेमंत सोरेन ने पटना के एमजी हाइ स्कूल में 10वीं कक्षा में दाखिला लिया। पटना से ही उन्होंने मैट्रिक की पढ़ाई की।   
  • 1990 में उन्होंने बोर्ड की परीक्षा पास की। इसके बाद पटना विश्वविद्यालय से आइएससी 1994 में किया। इसके बाद हेमंत ने बीआइटी मेसरा में इंजीनियरिंग में दाखिला लिया।वह बीआइटी मेसरा के  हॉस्टल मे ही रहते थे। बीआइटी मेसरा के अनुशासन का पालन करते थे। उन्होंने कभी जाहिर नहीं होने दिया कि झारखंड की मांग करनेवाले एक शक्तिशाली नेता शिबू सोरेन के वह पुत्र हैं।  


  • 2003 में रखा राजनीति में कदम : पढ़ाई पूरी करने के बाद हेमंत कुछ खास कर नहीं रहे थे। इसी दौरान उन्होंने वर्ष 2003 में झामुमो के छात्र विंग झामुमो छात्र संघ के अध्यक्ष का कार्यभार संभाला। छात्र विंग का गठन उन्होंने राज्य के हर जिले में किया। छात्र राजनीति में रहते हुए ही वर्ष 2005 में वह दुमका सीट से चुनाव लड़े। पर झामुमो के ही उस दौरान बागी उम्मीदवार स्टीफन मरांडी से वह हार गये। उस समय हेमंत तीसरे स्थान पर थे।  
  • इसी दौरान सात फरवरी 2006 को वह विवाह के बंधन में बंध गये। हेमंत की पत्नी कल्पना सोरेन हैं।  वह भी इंजीनियर है। जो आज रांची में फर्स्ट मार्क स्कूल की संचालिका हैं। हेमंत के दो पुत्र हैं। 10 वर्षीय विश्वजीत और छह वर्षीय नीतिन। फिर 24 जून 2009 को वह राज्यसभा सांसद चुने गये।  


  • बड़े भाई के निधन के बाद संभाली विरासत : झामुमो के प्रवक्ता और हेमंत के करीबी  अभिषेक कुमार पिंटू बताते हैं कि वर्ष 2009 में हेमंत सोरेन के बड़े भाई  दुर्गा सोरेन का निधन हो गया। इधर बड़े पुत्र के निधन के बाद शिबू सोरेन काफी दुखी रहते थे। तब हेमंत ने उन्हें सहारा दिया।  
  • राजनीति की बागडोर हेमंत संभालने लगे। जब दिसंबर 2009 में विधानसभा चुनाव हुआ, तो वह दुमका विधानसभा सीट से चुनाव लड़े और भाजपा की लुईस मरांडी और स्टीफन मरांडी जैसे दिग्गजों को हरा कर विधानसभा पहुंचे। हेमंत के प्रयास से ही झामुमो के नेतृत्व में भाजपा के समर्थन से सरकार बनी। शिबू सोरेन मुख्यमंत्री बने।  


  • तब हेमंत ने कोई पद नहीं लिया था। भाजपा द्वारा समर्थन वापस ले लिये जाने कारण शिबू सोरेन की सरकार गिर गयी। इसके बाद फिर हेमंत सोरेन सक्रिय हुए। उनके प्रयास से ही दोबारा भाजपा के साथ गंठबंधन हुआ। इस बार मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा बने और हेमंत सोरेन उप मुख्यमंत्री बने। सत्ता में यह उनका पहला अनुभव था। 
  •  उनके हाथों में वित्त मंत्रालय जैसा विभाग था। पर हेमंत ने बखूबी अपनी जिम्मेवारियों को निभाया। भाजपा के साथ गंठबंधन जनवरी 2013 में आकर टूट गया। एक बार फिर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा। फिर भी हेमंत इस मुहिम में लगे रहे कि राज्य में राष्ट्रपति शासन समाप्त कर लोकतांत्रिक सरकार का गठन हो। दिल्ली में वह कई बार कांग्रेस के नेताओं से मिले। 
  •  फिर 13 जुलाई 2013 को वह झारखंड के मुख्यमंत्री बने। गठबंधन में सरकार चली। दिसंबर 2014 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की सरकार बनी। उस चुनाव में हेमंत सोरेन बरहेट और दुमका सीट से चुनाव लड़े थे। पर दुमका सीट वह हार गये थे। हालांकि बरहेट से वह विधायक बने। हेमंत नेता प्रतिपक्ष बने। इन पांच सालों में उन्होंने पार्टी का विस्तार किया। 

 जिसका परिणाम है कि आज झामुमो 30 सीट जीत कर आयी है और सरकार बना रही है। जिस दुमका सीट को वह हार गये थे, वर्ष 2019 में उसी सीट को वापस जीता। हेमंत सोरेन आज भी राजनीतिक मामलों में पिता शिबू सोरेन से राय लेकर ही कोई कदम बढ़ाते हैं।

23 दिसंबर को जब चुनाव का रिजल्ट आ रहा था। हेमंत अपने पिता के घर में उनके पास बैठ कर राय-मशविरा कर रहे थे।
- ग्राम समाचार ब्यूरो रिपोर्ट, रांची।


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