Bounsi News: श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के द्वारा छापेमारी के दौरान बाल श्रमिक को कराया गया मुक्त

ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। 

जब कोई बच्चे को उसके बाल्यकाल से वंचित कर उन्हें मज़बूरी में काम करने के लिए विवश करते हैं, उसे बाल श्रम कहते हैं। बच्चों को उनके परिवार से दूर रखकर उन्हें गुलामों की तरह पेश किया जाता है। दूसरे शब्दों में - किसी भी बच्चे के बाल्य-काल के दौरान पैसों या अन्य किसी भी लालच के बदले में करवाया गया किसी भी तरह के काम को बाल श्रम कहा जाता है। इस प्रकार की मज़दूरी अधिकतर पैसों या ज़रूरतों के बदले काम करवाया जाता है। साधारण शब्दों में समझाया जाए तो जो बच्चे 14 वर्ष से कम आयु के होते हैं, 



उनसे उनका बचपन, खेल-कूद, शिक्षा का अधिकार छीनकर, उन्हें काम में लगाकर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक रूप से प्रताड़ित कर, कम रुपयों में काम करा कर शोषण करके, उनके बचपन को श्रमिक रूप में बदल देना ही बाल श्रम कहलाता है। बाल श्रम पूर्ण रूप से गैर कानूनी है। इस प्रकार की मज़दूरी को समाज में हर वर्ग द्वारा निंदित भी किया जाता है। भारत के संविधान 1950 के 24 वें अनुच्छेद के अनुसार 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से मज़दूरी, कारखानों, होटलों, ढाबों, घरेलू नौकर इत्यादि के रूप में कार्य करवाना बाल श्रम के अंतर्गत आता है। अगर कोई व्यक्ति ऐसा करता पाया जाता है, तो उसके लिए उचित 

 


दंड का प्रावधान है। इसी क्रम में शुक्रवार को बौंसी बाजार के विभिन्न होटलों में श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के द्वारा छापेमारी की गई। इस दौरान डेम रोड के एक मिठाई दुकान पर बाल श्रमिक को कार्य करते हुए पकड़ा गया। बाल श्रमिक को बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां उसे उसके माता पिता को बुलाकर सौंप दिया गया। इस दौरान बाजार में बाल श्रम का कार्य कर रहे लोगों में दहशत का माहौल बन गया है। 

 कुमार चंदन, ग्राम समाचार संवाददाता, बौंसी।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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