ग्राम समाचार गोड्डा, ब्यूरो रिपोर्ट:- गोड्डा जिले के पथरगामा प्रखंड में एक बार फिर विश्वकर्मा पूजा के ठीक एक दिन पहले राजीव गांधी ग्रामीण पाइप जलापूर्ति योजना के तहत किया जाने वाला जलापूर्ति ठप हो गया।लोगों के घर पानी के बिना सूना हो गया।लोगों को पानी की व्यवस्था करने के लिए इधर-उधर भटकते देखा गया। पथरगामा के अभिषेक चौबे उर्फ सोनू चौबे, दीपक भगत, पप्पू साह, राजू साह, अजय श्रीवास्तव, नंदलाल भगत, जवाहर भगत आदि कई लोगों ने कहा कि भले ही यह जलापूर्ति पीने के लिए नहीं किया जाता है परंतु पथरगामा में खारा जल रहने के चलते यही सुंदर नदी का मृदु जल लोगों का एक संबल बन गया है।पथरगामा में सरकारी चापाकल का सर्वथा अभाव है।अपने घरों पर बोरिंग कराने में लगभग ₹35000 का खर्च आता है जो सबके बस की बात नहीं है। भले ही आपूर्ति किए गए पानी को लोग पीने के काम में नहीं लाते परंतु नहाने धोने खाना बनाने कपड़ा साफ करने घर साफ करने बर्तन मांजने जानवरों को पानी पिलाने आदि में इसी पानी का इस्तेमाल होता है।इन्हीं सब कारणों से इस जलापूर्ति को पथरगामा का लाइफ लाइन कहा जाता है।ऐसी स्थिति में 1 दिन भी जलापूर्ति का ठप हो जाना लोगों के लिए भारी मुसीबत का सबब बन जाता है।लोगों को जलापूर्ति का बिल ₹60 महीना देना पड़ता है।जलापूर्ति ठप होने के कारणों के बारे में जानने हेतु जब रखरखाव के जिम्मेवार पंचायत के मुखिया हेमंत कुमार पंडित से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि आज जलापूर्ति चालू होते ही जल पंप का बेयरिंग टूट जाने के चलते जलापूर्ति ठप हो गया है। बताया कि इधर कई दिनों से बेयरिंग से आवाज आ रहा था। मुखिया ने बताया कि जलापूर्ति के लिए यहां पर दो पंप में लगाया गया है। एक मोटर बनाने के लिए दिया गया है जो मिस्त्री की लापरवाही के चलते आज तक बनकर नहीं आ पाया है।दूसरा वाला पुराना मोटर से ही पानी का सप्लाई किया जाता है। जलापूर्ति के उपभोक्ताओं का कहना है कि जब कई दिनों से बेयरिंग आवाज कर रहा था तब उसके टूटने का इंतजार करना कहां की बुद्धिमानी है? मालूम हो कि बाबा जी पहाड़ स्थित जल मीनार के लिए वहीं पर एक डीप बोरिंग कराना था।परंतु किसी कारणवश बोरिंग नहीं कराया जा सका है। बाबा जी पहाड़ पर पानी टंकी बनने से पहले सेटलिंग टैंक के द्वारा पथरगामा में जलापूर्ति किया जाता था। जिसके लिए सुंदर नदी में पंप हाउस बनाया गया था।जल मीनार के पास बोरिंग नहीं कराए जाने के चलते मजबूरी बस आज भी जलापूर्ति सुंदर नदी के पंप हाउस से ही किया जा रहा है।
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