रेवाड़ी में नारद जयंती के अवसर पर हिंदी पत्रकारिता के मसीहा तथा हिंदी गद्य के जनक बाबू बालमुकुंद गुप्त के बहुआयामी व्यक्तित्व एवं कृतित्व को चिरस्थायी एवं प्रेरणापुंज बनाने में गत अढ़ाई दशकों से जुटी साहित्यिक संस्था बाबू बालमुकुंद गुप्त पत्रकारिता एवं साहित्य संरक्षण परिषद् के 6 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल ने मंगलवार को सायं राजभवन में राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय से भेंट कर उन्हें गुप्त जी की ग्रंथावली और साहित्य भेंट किया । परिषद महासचिव सत्यवीर नाहड़िया ने बताया कि 18 सितंबर को गुप्त जी की पुण्यतिथि पर रेवाड़ी में प्रस्तावित राज्य स्तरीय साहित्यिक समारोह में बतौर मुख्य अतिथि पधारने हेतु उन्हें निमंत्रण भी दिया। इस अवसर पर प्रदेश सरकार तथा परिषद् द्वारा गुप्त जी को लेकर चलाई जा रही विभिन्न परियोजनाओं पर भी चर्चा हुई।
हरियाणा पत्रकार संघ के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार केबी पंडित के संयोजन तथा परिषद् के मुख्य संरक्षक व हरियाणा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के उर्दू प्रकोष्ठ के निदेशक डॉ. चंद्र त्रिखा की अगुवाई में प्रतिनिधिमंडल में परिषद संरक्षक नरेश चौहान राष्ट्रपूत, अध्यक्ष ऋषि सिंहल, महासचिव डा प्रवीन खुराना, समाजसेवी विक्रम सिंह चौहान ने इस अवसर पर महामहिम को शॉल ओढ़ाकर कर सम्मानित किया और उन्हें गुप्त जी की ग्रंथावली, रेजांगला शौर्य गाथा तथा साहित्य भेंट किया। गुप्त जी की उर्दू पत्रकारिता के संदर्भ में डॉ. त्रिखा, हिंदी पत्रकारिता के संदर्भ में श्री पंडित तथा उनकी जन्मस्थली गांव गुड़ियानी (रेवाड़ी)की पैतृक हवेली तथा परिषद् की गतिविधियों की विस्तृत जानकारी परिषद् संरक्षक अधिवक्ता नरेश चौहान 'राष्ट्रपूत' ने दी। उनके साहित्य के शोधार्थी डॉ प्रवीण खुराना ने साहित्य एवं पत्रकारिता में उनके योगदान से महामहिम को वाकिफ करवाया तथा परिषद् अध्यक्ष ऋषि सिंहल ने परिषद् की लंबित परियोजनाओं की जानकारी दी, जिनमें हवेली में संग्रहालय एवं ई-लाइब्रेरी खोलने, विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रम में गुप्त जी को शामिल करना, सभी विश्वविद्यालय में उनके नाम से पीठ स्थापित किया जाना, उनके नाम से रेवाड़ी में साहित्य सदन तथा शोध संस्थान स्थापित करना आदि उल्लेखनीय हैं।
इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल ने राष्ट्रीयता के अग्रदूत के रूप में लब्धप्रतिष्ठ स्वतंत्रता सेनानी क्रांतिकारी कलमकार गुप्तजी के लिए प्रदेश सरकार द्वारा अकादमी पुरस्कार सहित अनेक कार्य किए जाने पर संतोष व्यक्त करते हुए इस चर्चा तथा साहित्य में विशेष रुचि दिखाई। उन्होंने कहा कि समाज एवं राष्ट्र के निर्माण में साहित्यकार एवं पत्रकारों की योगदान को भुलाया या नहीं जा सकता तथा उनके भूले-बिसरे योगदान को चिरस्थायी एवं प्रेरणापुंज बनाने के लिए निरंतर नवाचारी साहित्यिक आयोजनों की जरूरत है।
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