कर्नाटक में रण्या राव सोना तस्करी मामले ने तूल पकड़ लिया है। एक्ट्रेस रण्या राव पर केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (KIA) पर प्रोटोकॉल का गलत इस्तेमाल करने और इस मामले में बड़े अधिकारियों की मिलीभगत के आरोपों के बाद कर्नाटक सरकार हरकत में आई है और जांच के आदेश दे दिए हैं। बीजेपी ने इस मामले में कांग्रेस के एक वरिष्ठ मंत्री की संलिप्तता का आरोप लगाया है, जिससे यह मामला अब एक राजनीतिक विवाद में बदल गया है।
क्या है पूरा मामला?
3 मार्च को दुबई से आते समय रण्या राव को KIA पर 14.2 किलो सोने की छड़ों (करीब 12.5 करोड़ रुपये कीमत) के साथ गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि रण्या ने शीर्ष अधिकारियों के लिए रिजर्व प्रोटोकॉल सुविधाओं का दुरुपयोग किया और सुरक्षा जांचों को बायपास कर दिया। इसके लिए उन्होंने अपने सौतेले पिता, डीजीपी रैंक के अधिकारी रामचंद्र राव, का नाम इस्तेमाल किया।
कौन कर रहा है जांच?
- सरकारी जांच: कर्नाटक सरकार ने वरिष्ठ आईएएस अधिकारी गौरव गुप्ता को KIA पर रण्या राव द्वारा किए गए प्रोटोकॉल उल्लंघन और इसमें उनके सौतेले पिता की भूमिका की जांच करने का आदेश दिया है।
- CID जांच: इसके अलावा, आपराधिक जांच विभाग (CID) को पुलिस कर्मियों द्वारा संभावित लापरवाही की जांच करने और रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया गया है।
- CBI जांच: राजस्व खुफिया निदेशालय (DRI) की जानकारी के बाद, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने भी अंतरराष्ट्रीय संबंधों वाले इस सोना तस्करी रैकेट की जांच के लिए एक मामला दर्ज किया है।
राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप:
बीजेपी ने सिद्धारमैया सरकार के एक प्रमुख मंत्री पर इस मामले में शामिल होने का आरोप लगाया है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष बी.वाई. विजयेंद्र ने कहा कि कर्नाटक सरकार में प्रभावशाली लोगों के समर्थन के बिना रण्या करोड़ों का सोना नहीं ला सकती थी।
रण्या राव का दावा:
रण्या राव ने अदालत में दावा किया है कि DRI हिरासत में उन्हें "मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया" और "धमकी दी गई"। हाल ही में, बेंगलुरु DRI ने उनके घर पर छापेमारी के दौरान 2.06 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और 2.67 करोड़ रुपये नकद बरामद किए हैं।
क्या होगा आगे?
यह मामला अब पूरी तरह से राजनीतिक रंग ले चुका है। Gaurav Gupta को एक हफ्ते के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है, जिसके बाद इस मामले में और खुलासे होने की उम्मीद है। देखना होगा कि इस मामले में कितने बड़े नाम सामने आते हैं और क्या इसका असर कर्नाटक की राजनीति पर पड़ेगा।
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