Bounsi News: सरस्वती प्रतिमा विसर्जन अश्लील गाने पर लम्पट को नाचने का अवसर: कुमार चंदन

ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। बसंत पंचमी मां सरस्वती का जन्मदिन होता है। इसलिए ही वसन्त पंचमी के दिन को सरस्वती जयन्ती के रूप में भी जाना जाता है। जिस तरह से दीवाली का दिन देवी लक्ष्मी की पूजा के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण है, जो कि सम्पत्ति और समृद्धि देती हैं। ठीक इसी प्रकार बसंत पंचमी का पर्व देवी सरस्वती की आराधना हेतु महत्वपूर्ण होता है, जो कि जान और बुद्धिमत्ता की देवी हैं। बसंत पंचमी के दिन देवी सरस्वती की पूजा करने से बुद्धि और जान में वृद्धि होती है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा पूर्वाहन काल में की जाती है। यह दोपहर से पहले का समय होता है। देवी सरस्वती का प्रिय रंग श्वेत माना जाता है। इसलिए इस दिन भक्तगण श्वेत वस्त्र पहनकर देवी की अराधना करते हैं। उत्तर भारत में बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर देवी सरस्वती को पीले फूल, पीली मिठाई, पीले वस्त्र अर्पित किये जाते हैं, क्योंकि इस समय में सरसों और गेंदे के फूल सबसे ज्यादा मात्रा में पाये जाते हैं। बसंत पंचमी का दिन विद्या आरम्भ करने के लिए भी महत्पूर्ण होता है। विद्या आरम्भ एक परम्परिक अनुष्ठान है जिसके द्वारा छोटे बच्चों का अध्ययन का 

शुभारम्भ किया जाता है। मथुरा व वृन्दावन के मन्दिरों में ये त्योहार अन्य स्थानों की अपेक्षा अधिक धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन से बृज के देवालयों में होली उत्सव की शुरुआत हो जाती है। इस दिन वसन्त ऋतु के आगमन के प्रतीक के रूप में देवी-देवताओं की मूर्तियों को पीले परिधानों से सुशोभित किया जाता है। पश्चिम बंगाल में बसंत पंचमी को सरस्वती पूजा के रूप में मनाया जाता है। इस दिन बालिकायें पीले रंग की साड़ी और बालक धोती-कुर्ता धारण करते हैं। इस दिन सरस्वती माता की पूजा करते हैं, पतंग उड़ाते हैं, श्वेत एवं पीले वस्त्र पहनते हैं, देवी सरस्वती को सरसों और गेंदे के फूल अर्पित किए जाते हैं। ये दिन बच्चों की विद्यारम्भ करने के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन विद्यालयों व महाविद्यालयों में सरस्वती पूजा का आयोजन होता है। ये दिन नये कार्य की शुरुआत करने के लिए भी शुभ माना जाता है। परन्तु आज के दौर में सरस्वति पूजन की छवी को बदल कर रख दिया है। आधुनिक युग में सरस्वती प्रतिमा स्थापित कर विसर्जन करने के नाम पर लम्पट को नाचने का अवसर है। जहाँ कोई भक्ति भाव है ही नहीं। सरस्वती मां की प्रतिमा सजाकर अश्लीलता भरे गानों के साथ  विदा किया जाता है। यहां तक कि निजी कोचिंग सेंटर के छात्र एवं छात्राओं के साथ शिक्षक भी उस अश्लील गानों पर भौंड़ा नृत्य करते हैं। मूर्ख वे नहीं हैं ,जो अनपढ़ हैं। पढ़ - लिख करके भी जो लोग मां सरस्वती के आगे अश्लील गाना बजाते हैं और भौंड़ा नृत्य करते हैं, ऐसे लोग मूर्ख हैं और उनकी तादाद दिन - प्रतिदिन बढ़ती चली जा रही है।

कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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