Bounsi News: जो आनंद की अनुभूति मुझे मंदार क्षेत्र में आ कर हुई है, वह अन्यत्र किसी भी स्थान पर आ कर नहीं हुई: कथावाचिका साध्वी भाग्यश्री

ब्यूरो रिपोर्ट ग्राम समाचार बांका। मंदार की पावन धरती पर स्थित मेला मैदान में सीताराम विवाह महोत्सव एवं श्री श्री 108 लक्ष्मी नारायण महायज्ञ के नौ दिवसीय आयोजन को लेकर गुरुवार को पंचम दिवस में वृंदावन धाम से आई कथावाचिका साध्वी भाग्यश्री ने  श्रधालुओं को  कथा में पुनीत कथा शिव विवाह की कथा सुनाई गयी। जिसमें माता पार्वती एवं भगवान शिव का किस तरह मैनावती एवं राजा हिमाचल ने पानिग्रह संस्कार किया और कितना सुन्दर माता मैनावती ने माँ गौरी को अपनी पुत्री अपनी गौरी को विदाई के समय कितना सुन्दर सन्देश दिया। माता मैनावती ने कहा की "करहिं सदा शंकर पद पूजा, नारी धर्म पतिदेव न दूजा" नारी के लिया पति धर्म से बड़ा और दूसरा कोई धर्म नहीं है। साथ ही दुसरे प्रसंग में श्री राम जन्म की कथा सुनाई गयी। कहा गया की "जब जब होए धर्म की हानि, बारही अधर्म अशुर अभिमानी तब तब धरहीं प्रभु विविध शरीरा हरहिं कृपा निज सज्जन पीड़ा" राम जन्म के हेतु भगवन ने इस संसार में "बिप्रधेनु शुरशंत हित लीन मनुज अवतार" इस संसार में परमपिता परमात्मा श्री राम राघव मर्यदा प्रुशोत्तम 








के रूप में इस धरा पे पधारे। बिप्र यानि ब्राहमणों की रक्षा के लिये, धेनु यानि गौ की रक्षा के लिए, सुर यानि देवताओं की रक्षा के लिए, संत यानि संतों साधुओं की रक्षा के लिए इस धरा पे मनुष्य रूप धारण कर के आये और उन्होंने अपने भक्तों की लाज को बचाया। अपने भक्तों की पीड़ा को हरा। इस दौरान  श्रधालुओं ने भक्तिरस का पान किया। श्रधालु  वृंदावन धाम से आई कावाचिका साध्वी भाग्यश्री की वाणी  सुन कर मंत्र मुग्ध हो गये। इस दौरान काफी संख्या में दूर दराज के श्रद्धालु यहां पहुंचे। वहीं मंदार मेला मैदान में प्रवचन सुनने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ रही है। इस धार्मिक समागम से चारों ओर वातावरण धार्मिक बना हुआ है। इस कार्यक्रम में देश भर के प्रसिद्ध साधु संत भी पहुंचे हुए हैं। आयोजन समिति द्वारा कार्यक्रम की सफलता को लेकर लगातार सक्रिय सहयोग किया जा रहा है। देर शाम बिहार के पुर्व डी.जी.पी. रहे  कथावाचक गुप्तेश्वर पांडे  की कथा ने श्रधालुओं का मन मोह लिया। उनके मुखारबिंद से प्रवचनों को  सुन कर श्रद्धालु आनंदित हो उठे। देर शाम रामलीला में श्री जनकपुरी प्रवेश एवं नगर दर्शन की लीला का मंचन किया गया। इस दौरान श्रधालुओं की भाड़ी भीड़ कथा पंडाल में देर रात्रि तक लगी रही इस अवसर पर गौरव कृषण शास्त्री, सुमन मौर्य, देवाशीष पांडे, धीरज सिंह,बिपिन मिश्रा सहित अन्य  मौजूद थे।

कथावाचिका को मंदार की धरा पर हुई आनंद की अनुभूति


साक्षात्कार के दौरान कथावाचिका ने ग्राम समाचार को बताया की उनका मंदार की धरा पे पह्ली बार पदार्पण हुआ है। उन्होंने कहा की मैंने तो कई क्षेत्रों में भ्रमण किया। छात्तिश्गढ़, बिहार, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र अन्यत्र प्रान्तों में मैंने कथा कही। लेकिन जो आनंद की अनुभूति मुझे मंदार क्षेत्र में आ कर हुई है। वह अन्यत्र किसी भी स्थान पर आ कर नहीं हुई। यह तो वह पवित्र स्थान है। जहाँ पर समस्त दैत्यों और देवताओं ने बासुकीनाथ को रस्सी बनाकर और कच्छप रूप धारण कर भगवन ने अपनी विशाल पीठ पे मंदराचल पर्वत को धारण कर के इस समुद्र का मंथन हुआ और उस समुद्र में से अनेकानेक रत्न, अनेकानेक अप्सराएँ, अनेकानेक पारिजात वृक्ष, ऐरावत हांथी, हलाहल विष निकला,अमृत निकला। जिसको समस्त देवताओं में वितरित किया गया और इस मंदार की पावन धरा पे आके मुझे अति आनंद की अनुभूति हुई।

कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बांका।

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Editor - कुमार चंदन,ब्यूरो चीफ,बाँका,(बिहार)

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