ग्राम समाचार,चांदन,बांका। प्रखंड क्षेत्र के कुसुम जोरी पंचायत अंतर्गत कड़वा मारन गांव अवस्थित ज्ञान भवन परिसर में शुक्रवार 10 मार्च को दलित मुक्ति मिशन के निर्देशक महेंद्र कुमार रोशन की अध्यक्षता में दलित मुक्ति मिशन एवं बिहार दलित विकास समिति के द्वारा गठित सावित्री बाई माता समिति एवं माता साबित्री बाई छात्र संगठन के संयुक्त तत्वावधान में उनका परिनिर्वाण दिवस के अवसर पर शिक्षा संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में संस्था के निदेशक महेंद्र कुमार रौशन ने बताया कि साबित्री बाई फुले के पिता का नाम खंडोजी नेवसे पाटील और माता का नाम लक्ष्मी था। उनका जन्म स्थान सातारा जिला में 3 जनवरी, 1831 को हुआ था। उनके पति का नाम ज्योतिराव फुले था। उनका मृत्यु 10 मार्च 1897 को प्लेग नामक बीमारी के कारण हो गया। काफी मुसीबतों का सामना करते हुए उन्होंने ने महिलाओं को पढ़ाने का सफल
प्रयास किया। अपने जीवन काल में अनगिनत स्कूल/कॉलेज खोली। आज यदि महिला पढ़ लिखकर आसमान छू रही है तो यह सिर्फ और सिर्फ माता साबित्री फुले का श्रेय जाता है। इसलिए उन्हें देश का प्रथम शिक्षक की संज्ञा दिया गया है। आज उन्हें याद करते हुए दिल भर आता है, कि न केवल महिला समाज बल्कि सम्पूर्ण जाति समुदाय के लोगों को विशेष रूप से हाशिये पर रहे समुदाय के लोगों के लिए शिक्षा के क्षेत्र में बहुत काम किया। इस दौरान उन्हें काफी यातनाएं प्रताड़ना का शिकार होना पड़ा फिर भी हार न मानी और देश मे मिशाल कायम कर दिखाई। उनकी सफलता में उनके पति महात्मा ज्योतिबा राव फुले का योगदान भी कम नहीं रहा है। उन्होंने ने अपनी पत्नी को पढ़ाकर शिक्षक बनाया और हमेशा उनका साथ दिया। इस अवसर पर माता सावित्री छात्र संगठन के सदस्यों ने उन्हें याद किया और उनके उन्हें प्रेरणा स्रोत माना। मौके पर संस्था की सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता देवी, रानी शर्मा, लखन मुर्मू बलराम कुमार दास ने माता सावित्री बाई के पद चिन्हों का बखान करते हुए लोगों को संबोधित किया।
उमाकांत साह,ग्राम समाचार संवाददाता,चांदन।
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