Pathargama News: पूर्णिमा तिथि 2 दिन उदया तिथि के कारण रक्षाबंधन 12 अगस्त को





                             पंडित नितेश कुमार मिश्रा

ग्राम समाचार, पथरगामा ब्यूरो रिपोर्ट:-  सावन शुक्ल पूर्णिमा को मनाया जाने वाला भाई बहनों का पवित्र त्यौहार रक्षाबंधन को लेकर इस बार कन्फ्यूजन की स्थिति बनी हुई है। गोड्डा जिला में भाई-बहन के प्रेम का त्यौहार रक्षाबंधन इस बार 11 या 12 अगस्त को मनाने को लेकर दुविधा की स्थिति बनी हुई है। पंडित नितेश कुमार मिश्रा के अनुसार, इस बार पूर्णिमा तिथि 2 दिन 11 व 12 अगस्त को पड़ रही है। पंचांग भेद के कारण राखी के त्योहार को लेकर मन में कंफ्यूजन है। उन्होंने कहा कि इस पर्व को लेकर पंचांग एकमत नहीं है। पूर्णिमा की तिथि एवं भद्रा की मौजूदगी इसका मुख्य कारण बन रहा है। ऋषिकेश पंचांग के अनुसार 11 अगस्त गुरुवार की रात 8:25 बजे भद्रा की समाप्ति के बाद राखी बांधी जाएगी। वही बनारसी पंचांग के मुताबिक 11 अगस्त की रात लगभग 8:30 बजे भद्रा के खत्म होने से लेकर अगले दिन शुक्रवार को सुबह 7:16 तक पूर्णिमा तिथि की उपस्थिति में रक्षाबंधन का शुभ कार्य किया जाएगा। पंडित नितेश मिश्रा ने कहा कि मिथिला पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त को सुबह 9:42 पर प्रारंभ हो रही है, जो 12 अगस्त को सुबह 7:24 तक रहेगा। 11 अगस्त को जब पूर्णिमा प्रारंभ हो रहा है उसके साथ ही भद्राकरण शुरू हो रहा है जो रात 8:25 तक रहेगा। नितेश मिश्रा ने बताया कि भद्रा में किसी तरह का रक्षा सूत्र नहीं बांधा जा सकता है। भद्रा काल में राखी बांधना अशुभ माना जाता है, इसके अलावा अन्य कोई भी शुभ या मांगलिक कार्य भद्रा में करना वर्जित है. इससे अशुभ फल की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथा के अनुसार भद्रा भगवान सूर्य देव की पुत्री और शनिदेव की बहन है। जिस तरह से शनि का स्वभाव क्रूर एवं क्रोधी है, इसी प्रकार से भद्रा का भी है इस वजह से इस समय शुभ कार्य वर्जित माने जाते हैं। शास्त्रों का मत है कि भद्रा काल में राखी का त्यौहार नहीं मनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भद्रा रात में समाप्त हो रहा है, रात में रक्षा सूत्र बांधने का विधान नहीं है। रक्षा सूत्र बांधने के पहले देवताओं को चढ़ाया जाता है। पूर्णिमा की उदया तिथि 12 अगस्त को पड़ रही है। इसलिए 12 अगस्त को राखी का त्यौहार मनाना सभी के लिए शुभ रहेगा।उदया तिथि को मानते हुए सूर्य अस्त होने तक रक्षाबंधन मनाया जा सकता है। नितेश मिश्रा के अनुसार राखी बांधने की शास्त्रीय विधि राखी बनवाने के लिए भाई को हमेशा पूर्व दिशा और बहन को पश्चिम दिशा की ओर मुख करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी राखी को देवताओं का भी आशीर्वाद प्राप्त होगा। राखी बंधवाते समय भाइयों को सिर पर रुमाल या कोई स्वच्छ वस्त्र होना चाहिए। बहन भाई के दाहिने हाथ की कलाई पर राखी बांधे और फिर चंदन व रोली का तिलक लगाएं। तिलक लगाने के बाद अक्षद लगाएं। इसके बाद दीपक से आरती उतार कर, बहन और भाई एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मुंह मीठा कराएं। भाई वस्त्र, आभूषण, धन या और कुछ उपहार देकर बहन के सुखी जीवन की कामना करें।

अमन राज:-

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Editor - भूपेन्द्र कुमार चौबे

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