ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। पद्मश्री जितू टुडू द्वारा स्थापित चंद्रशेखर सिंह आदिवासी उच्च विद्यालय साहूपोखर इन दिनों एक जीर्णोद्धारक की वाट जोह रहा है। जो विद्यालय की दशा और दिशा बदल दे। सन 1987 में स्थापित करने के बाद दिवंगत पद्मश्री जीतू टूडू ने इस क्षेत्र में आदिवासी शिक्षा की अलख जगाने का कार्य किया था। लेकिन उनकी मृत्यु के बाद इस विद्यालय की स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती चली जा रही है। पूरे जिला में आदिवासियों के लिए एकमात्र विद्यालय हुआ करता है। विद्यालय परिसर का कमरा भूतिया खंडहर में तब्दील हो गया है। फर्नीचर की व्यवस्था नहीं रहने के कारण छात्र-छात्राएं जमीन पर बैठकर पठन-पाठन करने को विवश हैं। कहने को तो विद्यालय में एक दर्जन से ज्यादा कमरे हैं। लेकिन एक भी कमरा बैठने लायक स्थिति में नहीं है। दरवाजे और खिड़कियां को उपद्रवियों द्वारा या तो चोरी कर लिया गया है या दीमक ने
उसे अपना आहार बना लिया है। इतना ही नहीं वित्तरहित इस विद्यालय में 2016 से अनुदान नहीं मिलने के कारण यहां कार्यरत शिक्षक और अन्य कर्मियों के समक्ष भुखमरी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। प्रधानाध्यापक को लगाकर यहां पर 6 शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि लिपिक और आदेशपाल भी मौजूद हैं। प्रधानाध्यापक राजेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि, 2021 में पूर्व प्रधानाचार्य सपन कुमार गोस्वामी के रिटायर होने के बाद अब तक संपूर्ण प्रभार उन्हें नहीं दिया गया है। जिसकी वजह से विद्यालय चलाने में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बताया गया कि, इसके लिए विद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष आमगाछी निवासी रामफल मंडल सहित अन्य को कई बार जानकारी दी गई है। लेकिन अब तक इस दिशा में कोई प्रयास नहीं किया गया है। यहां कार्य कर रहे प्रधानाध्यापक के साथ-साथ लिपिक गौतम दत्ता आदेशपाल सहित अन्य ने बताया कि, पूर्व के जिलाधिकारियों के द्वारा यहां अन्य कमरों के निर्माण में सहयोग किया गया था। वर्तमान जिला अधिकारी से भी लोगों को उम्मीद है। प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रही श्याम बाजार की दिव्या झा विद्यालय में आकर बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का काम कर रही है। दिव्या ने बताया कि उसके भाई ने यहां से पठन-पाठन किया था।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
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