ग्राम समाचार,बौंसी,बांका। प्रखंड के सुजानीटिकर गांव में चल रहे श्रीमद् भागवत कथा महापुराण के आज चौथे दिन श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ पड़ी। बताते चलें कि सुबह नौ से एक तथा संध्या छ्ह से दस तक श्रद्धालु आचार्य राजीव रंजन जी महाराज के मुखारविंद से श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का श्रवण कर रहे हैं। इस महा भागवत यज्ञ का आयोजन शिव शंकर यादव जी के द्वारा कराया जा रहा है। शिव शंकर यादव ने बताया कि दिन-प्रतिदिन भागवत सुनने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है,आसपास के गांव के महिलाएं और श्रद्धालु रोज भागवत कथा का श्रवण कर रहे हैं। आज चौथे दिन भागवत कथा में लोगों की रुचि काफी बढ़ गई जब अचार्य राजीव रंजन जी महाराज ने कपिल मुनि की कथा, कथा पंडाल में सुनाई। भागवत कथा में कपिल मुनि की कथा सुनकर लोग भाव विभोर हो गए। उन्होंने बताया कि किस प्रकार कपिल मुनि अपनी माता के गर्भ में ही रहकर किस तरह से अनेकों ज्ञान को संग्रहित किया यह परमपिता परमेश्वर की असीम अनुकंपा थी। भागवत
पुराण की कथा में महाराज जी ने बताया कपिलमुनि भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। कपिलमुनि की माता का नाम देवहूति व पिता का नाम कर्दम ऋषि था। देवहूति स्वयंभू मनु की पुत्री थीं। अनुसुइया, श्रद्धा, कला, गति, हविर्भू, क्रिया, ख्याति, अरुंधती तथा शान्ति आदि कपिल मुनि की बहनें थीं। रंजन जी महाराज ने बताया कपिल मुनि ने जब सांख्य दर्शन की रचना की तब बाल्यावस्था में कपिल मुनि महाराज ने अपनी माता को सृष्टि के साथ-साथ प्रकृति के 24 तत्वों का ज्ञान प्रदान किया था। उन्होंने बताया कि सांख्य दर्शन के माध्यम से जो तत्वज्ञान कपिल मुनि ने अपनी माता विभूति को सुनाया था वही ज्ञान श्री कृष्ण ने अर्जुन को महाभारत में गीता के उपदेश के रूप में सुनाया था। कपिल मुनि के संबंध में श्रीमद्भागवत गीता में वर्णन है। अक्षत्थ: अश्रृत्थ: सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारद:। गन्धर्वाणां चित्ररथ: सिद्धानां कपिलो मुनि:॥ अर्थात् भगवान श्री कृष्ण महाभारत में अर्जुन को बता रहे हैं कि हे अर्जुन जितने भी वृक्ष हैं उनमें सबसे उत्तम वृक्ष पीपल का है और वो मैं हूं, देवों में नारद मैं हूं, सिद्धों में कपिल मैं हूं, ये मेरे ही अवतार हैं।
कुमार चंदन,ग्राम समाचार संवाददाता,बौंसी।
Good morning very knowledgeable Bhagwat Katha
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